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अब सरकार वोटर चुन रही है! बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव का सीधा वार, सदन में मचा बवाल

 
tejashwi nitish

Patna: बिहार विधानसभा का मानसून सत्र एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार कानून से ज़्यादा हंगामे और तीखी ज़ुबानी जंग ने सुर्खियां बटोरी हैं।
बुधवार को सदन में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जबरदस्त बहस हुई, जिसमें शब्दों की गरिमा कहीं पीछे छूट गई और नतीजा ये निकला कि कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

डिप्टी सीएम की टिप्पणी से भड़के तेजस्वी

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधा हमला बोला। उनका आरोप था कि जब वे SIR (Special Intensive Revision) पर अपनी बात रख रहे थे, तब डिप्टी सीएम ने आपत्तिजनक तरीके से टोका और कहा, 'यही बोलेगा खाली, कितना बोलेगा'?

जिसके बाद तेजस्वी ने इसे सदन की गरिमा के खिलाफ बताया और कहा, “अगर विपक्ष का नेता नहीं बोलेगा, तो कौन बोलेगा? यही तो हमारा काम है! उन्होंने दावा किया कि स्पीकर ने खुद डिप्टी सीएम और एक मंत्री को फटकार लगाई, जिससे साबित होता है कि मामला गंभीर था।

चुनाव आयोग के हलफनामे में ‘विदेशी वोटर’ का कोई ज़िक्र नहीं

तेजस्वी ने SIR यानी वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण अभियान पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है, उसमें कहीं भी नेपाल या बांग्लादेशी वोटरों का ज़िक्र नहीं है। फिर भी सत्ता पक्ष जानबूझकर फर्जी नैरेटिव गढ़ रहा है, जिससे जनता को गुमराह किया जा सके।

“नीतीश जी को तो पता ही नहीं था चर्चा किस पर है

आपको बता दें कि, तेजस्वी यादव यहीं नहीं रुके। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी आड़े हाथों लिया और कहा, जब मैं बोल रहा था, मुख्यमंत्री बीच में खड़े होकर कुछ और बोलने लगे। उन्हें शायद पता भी नहीं था कि मुद्दा क्या चल रहा है। हमें उनकी हालत पर सहानुभूति होती है। अब सरकार रिमोट से दिल्ली से चल रही है।”

पहले वोटर सरकार चुनते थे, अब सरकार वोटर चुन रही है

तेजस्वी का सबसे तीखा तंज यह था कि, बिहार में अब उल्टा हो गया है – पहले जनता सरकार चुनती थी, अब सरकार वोटर छाँट रही है। उन्होंने BJP पर तंज कसते हुए पूछा, “अगर फर्जी वोटर वाकई इतने सालों से थे, तो फिर 2005 से लेकर आज तक की भाजपा सरकार क्या कर रही थी?

सत्ता पक्ष की चुप्पी, विपक्ष की जुबानी बमबारी

इस पूरी घटना पर अब तक सत्ता पक्ष की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं तेजस्वी और विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहे हैं और विधानसभा का मानसून सत्र अब कानून से ज्यादा तू-तू मैं-मैं का अड्डा बनता जा रहा है।

मुद्दा सिर्फ वोटर लिस्ट का नहीं, भरोसे का है

SIR को लेकर लड़ाई सिर्फ वोटरों की सूची की नहीं है। ये लड़ाई राजनीतिक साख, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और जनता के विश्वास की है। बिहार में ये जंग और लंबी चलने वाली है, सदन के अंदर भी और सड़कों पर भी।