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बिहार के 72 हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में, फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी कर रहे शिक्षकों पर विभाग करेगा सख्त कार्रवाई...

Sitamadhi: सीतामढ़ी जिले की बात करें तो यहां भी बड़ी संख्या में पुराने नियोजन वाले शिक्षक इस जांच के दायरे में हैं...
 
बिहार शिक्षा विभाग

Sitamadhi: बिहार में नियोजित शिक्षकों के फर्जी और संदिग्ध सर्टिफिकेट का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. हाल ही में प्राथमिक शिक्षा विभाग ने स्वीकार किया है कि राज्यभर में कुल 72,287 शिक्षकों के प्रमाण-पत्र अब तक सत्यापन से नहीं गुजर पाए हैं.

यह संख्या इसलिए भयावह है क्योंकि पिछले दस वर्षों से सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है, पर अब तक पूरी नहीं हो सकी है. सीतामढ़ी समेत राज्य के कई जिलों में हजारों शिक्षक ऐसे हैं, जिनकी नौकरी का आधार ही संदिग्ध दस्तावेजों पर टिका है. विभागीय सूत्रों की मानें तो सत्यापन पूरा होते ही बड़े पैमाने पर कार्रवाई तय है, जिसमें कई शिक्षकों की नौकरी जाना लगभग निश्चित माना जा रहा है.

विभागीय रिपोर्ट बताती है कि 3.52 लाख से अधिक शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों की वैधता की जांच लंबित थी, जिसमें भारी संख्या में वे दस्तावेज शामिल हैं जो नियोजन इकाइयों ने सत्यापन के लिए विश्वविद्यालयों और बोर्डों को भेजे ही नहीं.

नियोजन इकाइयों के सचिव पर कर्तव्य में लापरवाही का आरोप पहले से है, लेकिन विभाग ने अब सख्त रुख अपनाया है. शिक्षकों के नियोजन से जुड़े कागजात पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर रखे जाते हैं, जिनमें से कई दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं कराए गए. ऐसे में यह संदेश मजबूत है कि लापरवाही के पीछे बड़े पैमाने पर अनियमितता और फर्जीवाड़ा छिपा हुआ है.

इस बीच, प्राथमिक शिक्षा सचिव दिनेश कुमार ने सीतामढ़ी समेत सभी जिलों के डीपीओ (समग्र शिक्षा) को नया निर्देश भेजा है. पत्र में कहा गया है कि साल 2006 से 2015 तक नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण प्रमाण-पत्रों की जांच हाईकोर्ट के आदेश के बाद ब्यूरो द्वारा की जा रही है. विभागीय पत्र में पहली बार स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है कि बिहार बोर्ड के स्तर पर 46,681, संस्कृत बोर्ड में 1,766, मदरसा बोर्ड में 5,450 और कई विश्वविद्यालयों में हजारों प्रमाण-पत्र वर्षों से सत्यापन के इंतजार में पड़े हैं. यह स्थिति बताती है कि बिहार के नियोजन तंत्र में कितनी गंभीर खामियां छिपी हुई है.

विशेष रूप से सीतामढ़ी जिले की बात करें तो यहां भी बड़ी संख्या में पुराने नियोजन वाले शिक्षक इस जांच के दायरे में हैं. विभाग का मानना है कि सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होते ही फर्जी प्रमाण-पत्र वालों पर सख्त कार्रवाई होगी, जिसमें तत्काल बर्खास्तगी से लेकर आपराधिक मुकदमा तक शामिल हो सकता है. आने वाले महीनों में यह मामला बड़ा स्वरूप ले सकता है, क्योंकि 72 हजार से अधिक शिक्षकों के भविष्य का फैसला अब कागजों की सच्चाई तय करेगी. बिहार में शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए यह सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है, जिसका असर सीतामढ़ी समेत पूरे राज्य में दिखेगा.