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Patna News: रोहिणी आचार्य का नीतीश सरकार पर सीधा वार- “साइकिल नहीं, सिस्टम बदले… बेटियों का मायका बने सुरक्षित ठिकाना”

 
Patna News: रोहिणी आचार्य का नीतीश सरकार पर सीधा वार- “साइकिल नहीं, सिस्टम बदले… बेटियों का मायका बने सुरक्षित ठिकाना”

Bihar News: राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी और पार्टी की प्रमुख नेता रोहिणी आचार्य ने बिहार सरकार की महिला सशक्तिकरण नीतियों पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने नीतीश सरकार की लोकप्रिय योजनाओं- साइकिल योजना, प्रोत्साहन राशि और अन्य आर्थिक सहायता कार्यक्रमों—को “अपर्याप्त” बताते हुए कहा कि समस्या पैसे से नहीं, सोच से हल होगी।

“10,000 रुपये या साइकिल काफी नहीं… सिस्टम बदलिए”

रोहिणी ने अपने बयान में साफ कहा कि लड़कियों को पैसे या संसाधन देने भर से महिला सशक्तिकरण संभव नहीं है। उन्होंने कहा: “लड़कियों को 10,000 रुपये देना या साइकिल बांटना नेक इरादा हो सकता है, लेकिन ये उन गहरे व्यवस्थागत मुद्दों को नहीं बदल सकता, जो महिलाओं के अधिकारों को दबाते हैं।”

यह टिप्पणी सीधे-सीधे नीतीश कुमार के ‘साइकिल मॉडल’ को चुनौती मानी जा रही है, जिस पर सरकार लंबे समय से गर्व करती रही है।

पितृसत्तात्मक सोच पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की जरूरत: रोहिणी

रोहिणी ने कहा कि बिहार में पितृसत्ता की जड़ें गहरी हैं, और जब तक समाजिक सोच नहीं बदलती, लड़कियों को बराबरी का अधिकार नहीं मिल सकता।

उन्होंने कहा कि:
    •    सिर्फ सरकारी योजनाएँ पर्याप्त नहीं,
    •    समाज व परिवार की सोच बदलनी होगी,
    •    तभी लड़कियाँ सुरक्षित और आत्मनिर्भर बन पाएँगी।

राजनीतिक गलियारों में इसे तेजस्वी यादव की ओर अप्रत्यक्ष संकेत भी माना जा रहा है, क्योंकि लालू की राजनीतिक विरासत अब तेजस्वी के कंधों पर है।

नई अवधारणा: “मायका बने सेफ हाउस”

रोहिणी ने एक महत्वपूर्ण सामाजिक विचार सामने रखा- हर बेटी को यह अधिकार होना चाहिए कि उसका मायका हमेशा उसका सुरक्षित ठिकाना रहे।

उन्होंने कहा कि—
    •    बेटी चाहे शादीशुदा हो या नहीं,
    •    उसे अपने मायके लौटने के लिए
किसी स्पष्टीकरण, अपराधबोध या शर्म की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

बिहार जैसे राज्यों में शादी के बाद मायके लौटना सामाजिक कलंक माना जाता है, जिस पर रोहिणी ने सीधे चोट की है। उन्होंने इसे महिलाओं को भविष्य के शोषण और उत्पीड़न से बचाने का एकमात्र मजबूत उपाय बताया।

नीतीश सरकार को परोक्ष संदेश

रोहिणी ने जोर दिया कि महिला अधिकारों की रक्षा केवल सरकारी फाइलों का काम नहीं, बल्कि राज्य की नैतिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि सरकार को कागजी घोषणाओं से आगे बढ़कर—
    •    सामाजिक सुरक्षा,
    •    मानसिक सुरक्षा,
    •    और कानूनी संरक्षण
के ठोस कदम उठाने होंगे।

रोहिणी का मूल बयान (सार)
    •    साइकिल व प्रोत्साहन राशि “सकारात्मक” लेकिन “अपर्याप्त”
    •    महिलाओं की प्रगति में बाधा गहरे सामाजिक ढांचे
    •    पितृसत्ता के खिलाफ व्यापक सामाजिक परिवर्तन जरूरी
    •    हर बेटी को मायका एक सुरक्षित आश्रय के रूप में मिले
    •    यह केवल प्रशासनिक नहीं, नैतिक जिम्मेदारी भी है

नीतीश सरकार की महिला नीतियों पर यह तीखा हमला चुनावी मौसम में नई बहस को जन्म दे सकता है। रोहिणी आचार्य के बयान से साफ है- लड़ाई अब योजनाओं की नहीं, मानसिकता बदलने की है।