बिहार में ‘मीठी क्रांति’ की तैयारी: शहद उत्पादन–विपणन को नया पंख देने उतरा सहकारिता विभाग
Bihar News: बिहार में मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन को संगठित व लाभकारी व्यवसाय के रूप में विकसित करने की दिशा में सहकारिता विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। सहकारिता मंत्री डॉ. प्रमोद कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को विभागीय अधिकारियों और मधुमक्खी पालकों की सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों के साथ एक अहम समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
बैठक में राज्य में शहद उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन की मौजूदा स्थिति पर विस्तार से चर्चा हुई। विभाग की ओर से बताया गया कि फिलहाल बिहार के 20 जिलों में 144 प्रखंड स्तरीय मधुमक्खी पालक सहकारी समितियां पंजीकृत हैं, जिनसे 4,467 पालक जुड़े हुए हैं। इन पालकों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के लिए पूसा स्थित सहकारिता प्रशिक्षण केंद्र में तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किया जा रहा है, जिसमें व्यवहारिक प्रशिक्षण और फील्ड विजिट शामिल हैं।
सहकारिता मंत्री डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा कि सरकार का उद्देश्य शहद उत्पादन को केवल कृषि गतिविधि तक सीमित न रखकर एक सशक्त ग्रामीण उद्योग के रूप में विकसित करना है। इससे न सिर्फ मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ेगी, बल्कि गांवों में स्वरोजगार और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि शहद के प्रसंस्करण और विपणन के लिए एक समग्र कार्ययोजना तैयार की जा रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच बनाने के लिए APEDA के माध्यम से शहद निर्यात की व्यवस्था पर काम तेज कर दिया गया है। कृषि विभाग और उद्यान निदेशालय के साथ समन्वय कर योजनाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
मधुमक्खी पालक समितियों के अध्यक्षों ने बताया कि वे लीची, सहजन, बन तुलसी, जामुन और यूकेलिप्टस जैसे विभिन्न पुष्प स्रोतों से शहद का उत्पादन कर रहे हैं। सहकारी ढांचे के कारण उन्हें पूंजी, प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं का लाभ पहले की तुलना में कहीं आसान हुआ है।
बैठक में सहकारिता विभाग के सचिव धर्मेन्द्र सिंह और अपर निबंधक (न्यायिक) विकास कुमार बरियार सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। विभाग ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में बिहार शहद उत्पादन के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो सकता है।







