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बिहार के जूते पहनकर यूक्रेन में लड़ रहे रुसी सैनिक, जानिए क्या है इन जूतों की खूबियां

 

 बिहार के हाजीपुर में बने जूतों ने विश्वस्तर पर अपनी पहचान बना ली है। हाजीपुर में बने जूतों को पहनकर रूसी सैनिक जंग के मैदान में यूक्रेन से लोहा ले रहे हैं। हाजीपुर में स्थित कंपनी कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट्स रूसी सेना के लिए सेफ्टू जूते बनाने के साथ साथ कई अन्य देशों के लिए लग्जरी जूते बना रही है। हाजीपुर की कंपनी को विश्वस्तर पर पहचान मिलने के बाद स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने खुशी जताई है। चिराग जल्द ही इसके विस्तार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुलाकात करेंगे।

सोशल मीडिया एक्स पर चिराग ने इस कंपनी के जूते की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि, “अब रूस में भी चमकेगा हाजीपुर! बिहार में अपराध और हत्या के बीच हम सब के लिए एक सुखद खबर है मेरे संसदीय क्षेत्र में निर्मित जूते का इस्तेमाल रूस की सेना अपने ढाल के रूप में कर रही है। ये बिहार , बिहारी और समस्त देशवासियों के लिए गर्व का विषय है कि अब विदेशों में भी बिहार के हुनर की चर्चाएं होगी”।

चिराग ने आगे लिखा कि, “मैं स्थानीय सांसद के तौर पर जल्द ही कारखाने का दौरा करूंगा। वहां के स्थानीय कर्मचारियों से मुलाकात कर उनकी मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने का हर संभव प्रयास करूंगा साथ ही आने वाले दिनों में इस उद्योग के विस्तारीकरण को लेकर जल्द ही रक्षामंत्री एवं देश के प्रधानमंत्री जी के समक्ष रखूंगा। बिहार में इस प्रकार के उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मैं हर संभव प्रयास करूंगा”।

कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रबंधक शिव कुमार रॉय ने बताया कि हमने 2018 में हाजीपुर यूनिट शुरू की थी। इसका मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा करना भी है। हाजीपुर में हम सुरक्षा जूते बनाते हैं, जिन्हें रूस को निर्यात किया जाना है। कुल निर्यात रूस के लिए है।

रूसी सेना के लिए सुरक्षा जूते की आवश्यकताओं के बारे में शिव कुमार रॉय ने कहा कि उनकी आवश्यकता है कि जूते हल्के और फिसलन-रोधी होने चाहिए। तलवों में विशेष विशेषताएं होनी चाहिए और माइनस 40 डिग्री सेल्सियस जैसी चरम मौसम स्थितियों का सामना करने में सक्षम हो। हम इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा जूते बनाते हैं। रूस में हमारे जूतों का जबर्दस्त रिस्पॉन्स रहा। हमारी कंपनी रूस के सबसे बड़े जूते निर्यातकों में से एक है। उम्मीद है कि दिन-ब-दिन संख्या बढ़ती जाएगी।

शिव कुमार रॉय ने कहा कि कंपनी के एमडी धनेश प्रसाद की महत्वाकांक्षा बिहार में एक विश्व स्तरीय कारखाना बनाना और राज्य के रोजगार में योगदान देना है। हम कर्मचारियों को अधिकतम रोजगार देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, जिनमें से 300 कर्मचारियों में से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। पिछले साल 1.5 मिलियन जोड़े जूते (15 लाख) निर्यात किए, जिसकी कीमत 100 करोड़ रुपए है और उनका लक्ष्य अगले साल इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है।


महाप्रबंधक शिव कुमार रॉय ने आगे कहा कि बिहार सरकार ने उद्योगों को बढ़ावा दिया है और उनका समर्थन किया है, लेकिन अभी भी सड़कों और बेहतर संचार जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है ताकि रूस के खरीदार आसानी से संवाद कर सकें। उन्होंने कहा कि हमें तैयार-कुशल वर्कर भी चाहिए और इसके लिए एक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया जाना चाहिए ताकि हमें कौशल-तैयार जनशक्ति मिल सके, अन्यथा हमें उन्हें शामिल करने से पहले श्रमिकों को प्रशिक्षित करना होगा।