शारदा सिन्हा के लिए सिंगर बनना नहीं था आसान, 76 रुपए में सलमान खान के लिए गाया था गाना
Nov 5, 2024, 22:56 IST

शारदा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव के एक समृद्ध परिवार में हुआ. उनके पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में कार्यरत थे. बचपन से उनका नृत्य और गायन के प्रति काफी लगाव था. स्कूल के दिनों में जब शारदा अपनी सहेलियों के साथ गीत गा रही थीं, वहीं चुपके से हरि उप्पल (शारदा के शिक्षक) उनका गीत सुन रहे थे. जिसके बाद उन्होंने सभी से पूछा कि “यह रेडियो कौन बजा रहा है” तभी सभी ने जवाब दिया कि “शारदा गीत गा रही हैं.” तभी उन्होंने शारदा को प्रधानाचार्य कार्यालय में बुलाकर उस गीत को टेप रिकॉर्डर में रिकॉर्ड किया. शारदा के गायन करियर को सक्रिय बनाने में उनके परिवार का भरपूर सहयोग रहा.
शारदा सिन्हा ने अपने जीवन में सुगम संगीत की हर विधा में गायन किया. जिसमें गीत, भजन, गज़ल, इत्यादि शामिल हैं. शारदा के चाहने वालों ने उनका नाम बिहार कोकिला रखा. उन्होंने मैथिली, भोजपुरी, हिंदी, इत्यादि भाषाओं में गायन किया है. यही नहीं, बॉलीवुड की कई चर्चित फिल्मों में भी उन्होंने गाने गाये. बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने सब से पहला गाना “मैंने प्यार किया” (1989) में गाया था. इस फिल्म में गीत गाने के लिए उन्हें उस वक्त 76 रुपए मिले थे. उन्होंने "हम आपके हैं कौन" और अनुराग कश्यप की फिल्म “गैंग्स ऑफ वासेपुर” में ”तार बिजली से पतले हमारे पिया, ओ री सासु बता तूने ये क्या किया” जैसे लोकप्रिय गीत गाए.

केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झाके झुके-हे छठी मईया-हो दीनानाथ-बहंगी लचकत जाए-रोजे रोजे उगेला-सुना छठी माई-जोड़े जोड़े सुपावा-पटना के घाट परसंगीत के प्रति उनकी लगन देखकर पिता ने भारतीय नृत्य कला केंद्र में प्रवेश दिला दिया था. उन्होंने शास्त्रीय संगीत की उच्च शिक्षा प्रतिष्ठित गुरुओं से ली है. जिसके चलते वह मणिपुरी नृत्य में पारंगत हैं. संगीत सीखने के साथ उन्होंने स्नातक भी कर ली. इसके बाद राजनीतिशास्त्र के प्राध्यापक डॉ बृजकिशोर सिन्हा के साथ उनकी शादी हो गई. 22 सितम्बर 2024 ब्रेन हैमरेज से डॉ बृजकिशोर सिन्हा का निधन हो गया था.
शारदा सिन्हा के संगीतमय जीवन में बड़ा बदलाव 1971 में आया. एक इंटरव्यू में शारदा ने बताया था कि एचएमवी ने प्रतिभा खोज प्रतियोगिता आयोजित की. पति के साथ आडिशन देने लखनऊ गईं लेकिन वहां भी बाधा खड़ी थी. ट्रेन पहुंचने में देरी तो हुई ही, आडिशन वाली जगह पर धक्का-मुक्की भी काफी थी. आडिशन दिया लेकिन एचएमवी के रिकार्डिंग मैनेजर जहीर अहमद ने किसी को सेलेक्ट नहीं किया, लेकिन पति ने पूरे विश्वास से जहीर अहमद से दोबारा टेस्ट लेने का आग्रह किया. उन्होंने गाया, यौ दुलरुआ भैया. यह संयोग था कि इसी क्रम में एचएमवी के एक बड़े अधिकारी वहां पहुंचे. गाने रिकार्ड हुए तो फिर पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. उनके गाने गांव-गांव, घर-घर में गूंजने लगे.