गंगा पार जाकर बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक, जान जोखिम में डाल रहे 350 टीचर्स, नाव ही एकमात्र सहारा, नहीं है सरकारी सुरक्षा व्यवस्था
Danapur: गंगा का पानी लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इससे ज़्यादा बहादुरी की मिसाल दे रहे हैं 350 शिक्षक, जो रोज़ नाव के सहारे गंगा पार कर दियारा क्षेत्र के स्कूलों तक पहुंचते हैं। हालात ऐसे हैं कि पीपा पुल खोल दिया गया है, और अब एकमात्र रास्ता नाव ही बचा है।
गंगा पार की मजबूरी, सुरक्षा नाम की कोई चीज़ नहीं
दानापुर के नासरीगंज फक्कड़ महतो घाट से ये शिक्षक नाव पकड़कर गंगहारा और उससे आगे के स्कूलों तक जाते हैं।
समस्या ये है कि शिक्षा विभाग ने सिर्फ 100 लाइफ जैकेट ही उपलब्ध कराए हैं, जबकि रोज़ाना गंगा पार करने वाले शिक्षकों की संख्या तीन गुना है।
शिक्षकों की ज़ुबानी हालात की हकीकत
उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक दर्शन राय ने कहा,“गंगा का बहाव तेज़ है। कई बार नाव बहकर दीघा की ओर चली जाती है। नए शिक्षक डरे हुए हैं, लेकिन ड्यूटी निभा रहे हैं।”
संतलाल निषाद, दिव्यांग शिक्षक:
“ये मेरी पहली पोस्टिंग है। बहुत से नए शिक्षक लाइफ जैकेट खरीदने की हालत में नहीं हैं। सरकार से मांग है कि सबको जैकेट दिया जाए और सुरक्षित नाव चलाई जाए।”
विमल कुमार तिवारी, प्रधानाध्यापक, उत्कृमिक मध्य विद्यालय:
“हम जैसे-तैसे गंगा पार करते हैं। परिवार वाले डरते रहते हैं कि हम शाम को घर लौट पाएंगे या नहीं। बिना लाइफ जैकेट के हम रोज़ स्कूल जाते हैं।”
शिक्षिकाएं भी नहीं बख्शी गईं
प्राथमिक विद्यालय, पानापुर की एक महिला शिक्षिका ने बताया, “ट्रांसफर के दौरान हमें पटना बताया गया, लेकिन भेज दिया गया दियारा। महिला और दिव्यांग शिक्षकों को ऐसी जगह पोस्ट करना गलत है। स्कूल के बाहर बाढ़ का पानी भरा है, फिर भी गंगा पार जाना मजबूरी है।”
शिक्षक कर रहे हैं ये मांगे:
- सभी शिक्षकों को सरकारी लाइफ जैकेट दी जाए
- गंगा पार करने के लिए सरकारी नाव या सुरक्षित आवागमन की व्यवस्था हो
- महिला और दिव्यांग शिक्षकों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से हटाया जाए
- ट्रांसफर-पोस्टिंग में पारदर्शिता और संवेदनशीलता बरती जाए
जब शिक्षकों की ड्यूटी बच्चों को भविष्य देना है, तो क्या सरकार की ड्यूटी उन्हें सुरक्षित रखना नहीं है?







