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Tejashwi Yadav Europe Trip: चुनावी हार के बाद तेजस्वी की ‘विदेश यात्रा’ बनी बिहार की राजनीति का नया मुद्दा

 
Tejashwi Yadav Europe Trip: चुनावी हार के बाद तेजस्वी की ‘विदेश यात्रा’ बनी बिहार की राजनीति का नया मुद्दा

Patna Desk: बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह चुनावी भाषण या राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि उनकी यूरोप यात्रा है। हाल ही में विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को मिली करारी हार के बाद तेजस्वी का विदेश रवाना होना पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर चर्चा का बड़ा विषय बन गया है।

हार के बाद गहरी चुप्पी, फिर अचानक विदेश रवाना

24 अक्टूबर से 9 नवंबर तक तेजस्वी यादव ने 183 रैलियां की थीं, लेकिन उनकी मेहनत को सीटों में तब्दील नहीं किया जा सका-राजद सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई।
ऐसे में चुनाव परिणाम आने के बाद
    •    न तेजस्वी ने कोई सार्वजनिक बयान दिया,
    •    न पार्टी की समीक्षा बैठक बुलाई,
    •    और न ही चुनावी रणनीति पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की।

चुनावी हार और बढ़ते दबाव के बीच तेजस्वी ने अचानक यूरोप की यात्रा चुन ली। इससे पार्टी नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों में कई सवाल खड़े हो गए कि क्या वे हार की जिम्मेदारी से बच रहे हैं, या कोई नई राजनीतिक रणनीति लेकर लौटने वाले हैं।

पार्टी के अंदर भी असहजता

महागठबंधन के भीतर कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि

चुनाव परिणाम के बाद तेजस्वी को बिहार में रहकर पार्टी को दिशा देनी चाहिए थी, न कि अवकाश पर निकल जाना चाहिए था।

विधानसभा सत्र के दौरान उनकी गैरमौजूदगी को विरोधी दलों ने गैर-जिम्मेदाराना बताया है। कई विपक्षी नेता उन्हें राहुल गांधी से तुलना करते हुए “सीरियस नहीं रहने वाला नेता” कहने से भी नहीं चूक रहे।

क्या यात्रा किसी ‘बड़ी सलाह’ का परिणाम है?

तेजस्वी के विदेश जाने को लेकर एक और चर्चा तेज हो गई है। राजनीतिक गलियारों में यह दावा तेज़ी से फैल रहा है कि
    •    यह फैसला किसी बड़े नेता की सलाह पर लिया गया,
    •    सलाह देने वाला महागठबंधन के भीतर नहीं, बल्कि उसके बाहर का कोई सीनियर नेता हो सकता है।

कुछ जानकारों का मानना है कि यह यात्रा भविष्य की किसी नई राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकती है।

शेंगेन वीज़ा पर यूरोप, परिवार के साथ छुट्टियां

सूत्रों के अनुसार तेजस्वी यादव शेंगेन वीज़ा पर यूरोप में हैं और परिवार के साथ छुट्टियां मना रहे हैं। 25 दिसंबर के आसपास क्रिसमस और नए साल के उत्सव को देखते हुए, यह माना जा रहा है कि तेजस्वी यह पूरा समय देश से बाहर बिताने की योजना में हैं।

वापसी पर सबसे बड़ा सवाल: नेतृत्व कैसे संभालेंगे?

तेजस्वी की यह यात्रा उनके राजनीतिक करियर का एक बड़ा मोड़ मानी जा रही है।
राजद के लिए अब सबसे बड़ा सवाल है:
    •    क्या तेजस्वी वापसी के बाद पार्टी को नई दिशा दे पाएंगे?
    •    या यह दूरी पार्टी की कमजोर होती पकड़ को और बढ़ा देगी?

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, तेजस्वी यादव के लिए यह समय सबसे कठिन और निर्णायक है। उनकी वापसी और आगे की रणनीति ही तय करेगी कि बिहार की राजनीति में उनका भविष्य कितना मजबूत या कमजोर होगा।