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शिक्षा विभाग ने जारी किया बड़ा आदेश: बिहार के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों की सर्विस डिजिटल बुक होगी

 
siksha vibhag

Patna: बिहार सरकार ने सरकारी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की सेवा से जुड़ी पूरी जानकारी अब ऑनलाइन करने का फैसला लिया है। इसके लिए राज्य के शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी किया है कि शिक्षकों की e-Service Book यानी ई-सेवा पुस्तिका को ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।

क्या है ई-सेवा पुस्तिका और क्यों जरूरी है ये?

ई-सेवा पुस्तिका एक डिजिटल रिकॉर्ड है, जिसमें किसी शिक्षक की नौकरी से जुड़ी सारी जानकारियां होंगी।
जैसे उनके शैक्षणिक और प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र, सेवा की शुरुआत कब हुई, कौन-कौन से प्रमोशन मिले, कहां-कहां पोस्टिंग हुई आदि। इसका मकसद पारदर्शिता बढ़ाना और भविष्य में प्रमोशन, ट्रांसफर, या वेतन निर्धारण जैसी प्रक्रियाओं को आसान बनाना है।

कौन अपलोड करेगा दस्तावेज़?

1. TRE-3, सक्षमता परीक्षा 1 और 2 पास शिक्षक, और प्रधानाध्यापक:

  • इनके दस्तावेज़ जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) कार्यालय स्कैन कर पोर्टल पर डालेगा।

2. TRE-1, TRE-2, नियमित और नियोजित शिक्षक:

  • ये शिक्षक खुद अपने लॉगिन से सभी प्रमाण-पत्रों की PDF फाइल अपलोड करेंगे। इसके बाद संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक लॉगिन कर उनकी मंजूरी देंगे।

हर दस्तावेज के साथ पासिंग ईयर और दस्तावेज नंबर दर्ज करना भी जरूरी होगा।

BPSC और BSEB पोर्टल से भी होगा डाटा लिंक

अगर शिक्षक पहले से BPSC या BSEB पोर्टल पर अपने दस्तावेज़ अपलोड कर चुके हैं, तो उन्हें दोबारा अपलोड करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ई-शिक्षाकोष पोर्टल इन पोर्टल्स से API के ज़रिए डाटा इम्पोर्ट करेगा। फिर जिला कार्यालय उस डाटा की पुष्टि करेगा और ज़रूरत पड़ने पर बोर्ड या संस्था से सत्यापन भी कराया जाएगा।

बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन भी होगा

जिन शिक्षकों का ट्रांसफर हो चुका है और उन्होंने नए स्कूल में योगदान कर लिया है, उनका आधार आधारित बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसमें उनकी थंब इंप्रेशन और परीक्षा के दौरान ली गई फोटो का मिलान भी शामिल रहेगा।

गलत दस्तावेज़ जमा करने पर होगी कार्रवाई

शिक्षा विभाग ने साफ कहा है कि अगर किसी भी शिक्षक या कर्मचारी के दस्तावेज़ में गड़बड़ी या फर्जीवाड़ा पकड़ा गया, तो कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

क्या फायदा होगा इससे?

इस पूरी प्रक्रिया का मकसद सिर्फ रिकॉर्ड रखना नहीं है, बल्कि बिहार में डिजिटल शिक्षा प्रबंधन को मजबूत करना है। विभाग का मानना है कि इससे स्कूल स्तर पर प्रशासनिक प्रक्रियाएं ज्यादा तेज़, पारदर्शी और भरोसेमंद होंगी।

क्या करें शिक्षक और प्रधानाध्यापक?

शिक्षा विभाग ने सभी जिला और स्कूल स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस प्रक्रिया को तुरंत लागू करें और सभी शिक्षकों को इसकी जानकारी दें।

नोट: जिन शिक्षकों को प्रक्रिया समझने में परेशानी हो रही है, वे अपने स्कूल के प्रधानाध्यापक या DEO कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।