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पटना में डीजल स्कूल बसों पर फिलहाल बैन नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर लगाई अंतरिम रोक

 

बिहार की राजधानी पटना में डीजल से चलने वाली स्कूल बसों पर फिलहाल बैन नहीं लगाया जाएगा। पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। इससे स्कूल संचालकों को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने निजी स्कूलों के संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को यह आदेश दिया। आदेश की कॉपी बुधवार को अपलोड की गई। इस मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी। तब तक पटना में स्कूल बसों का संचालन पूर्व की तरह ही चलता रहेगा।

दरअसल, राज्य सरकार की ओर से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए 23 फरवरी को अधिसूचना जारी कर 1 सितंबर से पटना नगर निगम समेत दानापुर, खगौल और फुलवारीशरीफ नगर परिषद इलाके में डीजल से चलने वाली बसों पर रोक लगाने का आदेश दिया गया था। पटना समेत आसपास के शहरी इलाकों में बड़ी संख्या में निजी स्कूलों के पास डीजल से चलने वाली बसें हैं, जिनमें रोजाना बच्चे सफर करते हैं। सरकार की ओर से निजी स्कूल संचालकों से कहा गया कि वे 1 सितंबर से पहले अपनी डीजल बसों को सीएनजी में परिवर्तित कर दें।

एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स की ओर से बिहार सरकार की अधिसूचना के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में दलील देते हुए अदालत से कहा कि सरकार ने जमीनी हकीकत को दरकिनार करते हुए यह आदेश पारित किया है। इसमें बसों की आयु, डीजल बसों को सीएनजी बसों में बदलने के लिए उचित संसाधन, सीएनजी पंप की सुविधा जैसे पहलुओं पर गौर नहीं किया गया।

स्कूल संचालकों का कहना है कि पटना में सीएनजी पंपों की संख्या पर्याप्त नहीं है। ऐसे में सीएनजी वाहनों को गैस भराने के लिए बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा डीजल बसों को सीएनजी में कन्वर्ट करने की भी सुविधा बड़े पैमाने पर नहीं है। ऐसे में सरकार का अचानक आदेश लागू करके डीजल बसों पर बैन लगाना गलत है।

इससे पहले बिहार सरकार की ओर से डीजल स्कूल बसों पर बैन लगाने के आदेश को टाल दिया गया था। 31 अगस्त को एक अधिसूचना जारी कर सरकार की ओर से कहा गया कि 10 सितंबर तक पटना में डीजल बसों पर रोक नहीं लगाई जाएगी। अब पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद निजी स्कूल संचालकों को और राहत मिल गई है।