हजारों बहनों ने बांधी संजीव मिश्रा की कलाई पर राखी, बोले – "अब आपकी रक्षा मेरा धर्म है"
Supaul, Chhatapur: पारंपरिक राखी का पर्व इस बार सुपौल जिले के छातापुर प्रखंड में एक ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण में बदल गया। पनोरमा पब्लिक स्कूल परिसर में यथासंभव काउंसिल द्वारा आयोजित ‘राखी महोत्सव’ में हजारों बहनों ने वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और यथासंभव काउंसिल के संरक्षक संजीव मिश्रा की कलाई पर राखी बांधी। इस आयोजन ने राखी को सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि नारी सशक्तिकरण और सामाजिक संकल्प का प्रतीक बना दिया।
अब यह कलाई सिर्फ भाई की नहीं, आपकी सेवा के लिए समर्पित एक सैनिक की है" – संजीव मिश्रा
कार्यक्रम के दौरान जब हज़ारों बहनों ने संजीव मिश्रा को राखी बांधी, तो माहौल भावनाओं से सराबोर हो गया। मिश्रा जी की आँखें भर आईं और उन्होंने मंच से कहा, जिस कलाई पर आपने राखी बांधी है, वह अब सिर्फ भाई की नहीं रही – यह अब आपकी रक्षा, सेवा और सम्मान के लिए समर्पित एक सैनिक की कलाई है। उन्होंने यह भी कहा कि यह दिन उनके लिए राजनीति का नहीं, बल्कि एक पवित्र सामाजिक रिश्ते का दिन है जहाँ उन्होंने वचन दिया कि वे हर बहन की रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता के लिए जीवन भर समर्पित रहेंगे।
महिलाओं को मिला भरोसा, बच्चियों को मिला प्रेरणा
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आईं बुजुर्ग माताओं ने संजीव मिश्रा को राखी बाँधकर आशीर्वाद दिया। उनका कहना था कि, संजीव मिश्रा हमारे लिए केवल एक नेता नहीं, घर का बेटा और हर संकट में खड़ा रहने वाला भाई है। वहीं बच्चियों ने फूलों और शुभकामनाओं के साथ उनका स्वागत किया, और अपने हक और भविष्य के प्रति एक नई उम्मीद जताई।
छातापुर की बेटियों को मिलेगा अब नया विश्वास
अपने संबोधन में संजीव मिश्रा ने छातापुर की पिछड़ी स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, बीते दो दशकों से यहां विकास रुका हुआ है, और इसका सबसे अधिक असर यहां की बेटियों और माताओं पर पड़ा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे इस हालात को बदलने के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। अब कोई बेटी पढ़ाई बीच में नहीं छोड़ेगी, कोई मां इलाज के लिए दर-दर नहीं भटकेगी, और कोई बहन अपने अस्तित्व को लेकर डर में नहीं जिएगी।
राखी का धागा बना सेवा का संकल्प
कार्यक्रम के समापन पर संजीव मिश्रा ने कहा, यह राखी सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि मेरे जीवन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी और पवित्र रिश्ता बन गई है। अब हर बहन की उम्मीद मेरी प्राथमिकता है, और उनकी आवाज़ मेरी आवाज़ होगी।
भावनात्मक और प्रेरणादायक माहौल
पूरे कार्यक्रम के दौरान माहौल भावनात्मक, प्रेरक और सामाजिक सौहार्द से भरा रहा। यथासंभव काउंसिल के सदस्य, स्कूल प्रबंधन और बड़ी संख्या में महिलाएं इस अवसर पर मौजूद थीं। ‘राखी महोत्सव’ अब केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि समाज में बदलाव की दिशा में बढ़ाया गया एक मजबूत कदम बन गया है।







