बिहार में TRE 4 परीक्षा की घोषणा: नीतीश कुमार का बड़ा दांव या चुनावी रणनीति?

TRE 4 परीक्षा की आधिकारिक अधिसूचना जल्द जारी होने की उम्मीद है।
शिक्षा विभाग को 15 दिनों के भीतर रिक्त पदों की संख्या उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है।
आरक्षण नियमों की सख्त निगरानी के संकेत मिले हैं।
Patna: बिहार में विधानसभा चुनावों की दस्तक से पहले सियासी जमीन पर एक अहम मोहरा चला गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि राज्य में सरकारी स्कूलों में खाली पदों पर भर्ती के लिए TRE 4 परीक्षा जल्द आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि सभी रिक्तियों का तत्काल आंकलन कर भर्ती प्रक्रिया को तेज किया जाए। यह कदम न केवल प्रशासनिक रूप से अहम है, बल्कि इसके राजनीतिक निहितार्थ भी गहराई से महसूस किए जा रहे हैं।
बिहार में लाखों युवा लंबे समय से सरकारी नौकरियों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, और इस घोषणा से उनके बीच नई उम्मीदें जागी हैं। लेकिन इस भर्ती अभियान में सबसे अहम बिंदु है बिहार निवासी महिलाओं के लिए 35% आरक्षण। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यह लाभ केवल "बिहारी" महिलाओं को मिलेगा। यानी अन्य राज्यों की अभ्यर्थियों को इसमें कोई हिस्सेदारी नहीं मिलेगी।

क्या है इस फैसले के पीछे की राजनीति?
नीतीश कुमार पहले भी महिला सशक्तिकरण को अपनी राजनीति का मजबूत आधार बना चुके हैं। चाहे वह पंचायतों में आरक्षण की बात हो या छात्राओं के लिए साइकिल योजना। अब TRE 4 परीक्षा के जरिए एक बार फिर उन्होंने महिला मतदाताओं को सीधा संदेश दिया है कि उनकी सरकार महिलाओं के हितों को प्राथमिकता दे रही है। सियासी जानकार इसे "सोशल इंजीनियरिंग" का हिस्सा बता रहे हैं। एक ऐसा कदम जो युवा और महिला वर्ग के बीच नीतीश की छवि को और मज़बूत बना सकता है।
विपक्ष के आरोप, सत्ता पक्ष का बचाव
इस घोषणा के तुरंत बाद राजद और कांग्रेस ने इस पर निशाना साधा। राजद प्रवक्ता ने बयान में कहा, यह रोजगार नहीं, रोजगार का झांसा है। नीतीश कुमार युवाओं को बहकाने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं कांग्रेस ने इसे "वोट बैंक की राजनीति" करार दिया। दूसरी ओर, जेडीयू और बीजेपी ने इस निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि यह बिहार के युवाओं और महिलाओं के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम है।