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यूपीएससी रिजल्ट जारी, बिहार का भी जलवा, बक्सर के हेमंत को मिली 13वीं रैंक

 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (CSE) 2024 का रिजल्ट जारी हो चुका है। जिन उम्मीदवारों ने यह परीक्षा दी थी, उनका इंतजार आखिरकार खत्म हो चुका है। यूपीएससी रिजल्ट के साथ टॉपर्स की लिस्ट को भी जारी कर दिया है जोकि यूपीएससी का आधिकारिक वेबसाइट upsc.gov.in पर जारी की गई है। इस बार टॉप दो स्थानों पर लड़कियां हैं, शक्ति दुबे ने टॉप किया है जबकि दूसरा स्थान हर्षिता गोयल का है जिन्होंने यूपीएएसी सीएसई रिजल्ट 2024 में सेकेंड रैंक AIR 2 हासिल की है। 

यूपी के प्रयागराज की शक्ति दुबे ऑल इंडिया टॉपर बनी हैं। शक्ति ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया है। परीक्षा में पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशंस उसके ऑप्शनल सब्जेक्ट थे।

नंबर 2 पर हर्षिता गोयल रही हैं। हर्षिता शाह मूल रूप से हरियाणा की हैं और कई वर्षों से गुजरात के वडोदरा में रह रही हैं। हर्षिता का जन्म हरियाणा में हुआ। इसके बाद परिवार गुजरात के वडोदरा आ गया। यहीं वो बड़ी हुईं। क्वालिफिकेशन से वो एक CA हैं। हर्षिता थैलेसीमिया और कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए अहमदाबाद के बीलीफ फाउंडेशन के साथ काम कर चुकी हैं।

बता दें कि बिहार के बक्सर के रहने वाले हेमंत मिश्रा ने UPSC परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल की है। हेमंत, बक्सर जिले के धोबी घटवा निवासी ओम प्रकाश मिश्रा के बेटे हैं। 2022 में हेमंत ने UPPCS क्रैक किया था। अभी वो मिर्जापुर में SDM के पद पर कार्यरत हैं।

हेमंत एक मध्यमवर्गीय शिक्षित परिवार से आते हैं। हेमंत के पिता ओमप्रकाश मिश्रा शिक्षा विभाग में एपीओ के पद पर कार्यरत हैं, जबकि माता नर्मता देवी जिले के एक निजी स्कूल में शिक्षिका है।

हेमंत ने प्रारम्भिक शिक्षा बक्सर के ही एक निजी स्कूल से पूरी की है। डीएवी पटना से इंटरमीडिएट किया। जामिया-मिलिया से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद JNU से PG किया। नेट परीक्षा में भी पूरे देश में चौथा रैंक हासिल किया था।

अमेठी यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर भी चयनित हुए थे। हालांकि, हेमंत ने जॉब जॉइन नहीं की थी।

जमुई के पारस कुमार ने UPSC क्रैक किया है। उन्होंने 269वीं रैंक हासिल की है। वर्तमान में वे शिक्षा विभाग में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) के रूप में जमुई में कार्यरत हैं।

पारस कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जमुई में ही हासिल की। पढ़ाई के साथ-साथ वे शिक्षा विभाग में अपनी जिम्मेदारी भी निभाते रहे। ड्यूटी के बाद देर रात तक पढ़ाई कर उन्होंने यह सफलता हासिल की।

पारस कुमार ने अपनी सफलता का श्रेय नियमित पढ़ाई, समय प्रबंधन और आत्मविश्वास को दिया है। पारस ने बताया कि 'यदि मन में ठान लें और निरंतर मेहनत करें, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।