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साक्षात वार्तालाप के आनंद का अनुभव देने वाली पुस्तक है 'योगी के रहस्यभेद': विजय कुमार सिन्हा

 

शिव स्वरूप योगिराज बाबा पशुपति नाथ महाराज के विचार और अनुभव पर लिखी गई पुस्तक ' योगी के रहस्य भेद ' पुस्तक का लोकार्पण सहस्त्र चंडी महायज्ञ परिसर में किया गया। इस पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य पंडित महेंद्र नाथ पांडे, दैनिक जागरण बिहार के संपादक आलोक मिश्रा, पुस्तक के लेखक कृष्णकांत ओझा और संपादक राकेश प्रवीर उपस्थित रहे। बता दें, यह लोकार्पण कार्यक्रम गुरुवार को हुआ था। 

इस पुस्तक का लोकार्पण होने के बाद लेखक कृष्णकांत ओझा ने पुस्तक परिचय देते हुए कहा, " पुस्तक  'योगी के रहस्य भेद' में बाबा के स्मरण, यात्रा, सत्संग, साधना व साक्षात्कार से प्राप्त अनुभव व श्रेष्ठ ज्ञान गंगा के स्वरूप में प्रवाहमान दिखती है। बाबा का ज्ञान कभी हमें संपूर्ण भारत का बोध कराता है तो कभी सारी समस्याओं के निराकरण का रास्ता भी दिखाता है। यह पुस्तक कुछ ऐसी बातें भी बताती है जिसमें इतिहास का संदर्भ बदल सकता है। इस पुस्तक से साक्षात बाबा के सानिध्य का अनुभव होता है। "

पुस्तक लोकार्पण

इसके साथ ही बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बाबा योगीराज पशुपतिनाथ शिव स्वरूप थे। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर आने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद लगता है कि साक्षात बाबा के सामने बैठकर उनसे वार्तालाप हो रही है। वहीं, महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि इस पुस्तक में बाबा के दिव्य जीवन के बारे में बहुत कुछ नहीं है लेकिन इस पुस्तक में उनके विचार और अनुभव को लिखा गया है। यह पुस्तक महत्वपूर्ण ही नहीं बल्कि दुर्लभ है। इस पुस्तक में बाबा ने खुलकर अपनी बातें कहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह कथा शैली में प्रभाव के साथ लिखी गई अत्यंत उपयोगी पुस्तक सिद्ध होगी। उन्होंने पुस्तक के लेखक कृष्णकांत ओझा से आग्रह किया कि वह जल्द ही इस पुस्तक के बचे हुए भाग को भी प्रकाशित करें। इससे बाबा योगीराज पशुपतिनाथ के बारे में लोगों को और अधिक जानकारी मिलेगी। 

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