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बजट 2019: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बदली परंपरा, ब्रीफकेस नहीं लाल कपड़े में दिखा बजट!

पुरानी परंपरा को बदलते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार बजट दस्तावेज को ब्रीफकेस में रखने के बजाए एक लाल रंग के कपड़े में रखा है जिस पर ‘अशोक चिन्ह’ बना हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आजादी से चले आ रहे ब्रीफकेस के ट्रेंड को खत्म कर दिया. वे परंपरा बदलते… Read More »बजट 2019: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बदली परंपरा, ब्रीफकेस नहीं लाल कपड़े में दिखा बजट!
 

पुरानी परंपरा को बदलते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार बजट दस्तावेज को ब्रीफकेस में रखने के बजाए एक लाल रंग के कपड़े में रखा है जिस पर ‘अशोक चिन्ह’ बना हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आजादी से चले आ रहे ब्रीफकेस के ट्रेंड को खत्म कर दिया. वे परंपरा बदलते हुए ब्रीफकेस की जगह एक फोल्डर में बजट लेकर निकलीं. अंतरिम बजट में पीयूष गोयल ने लाल रंग के ब्रीफकेस का प्रयोग किया था.

इस पर मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यन का कहना है कि वित्त मंत्री ने लाल रंग के कपड़े में बजट दस्तावेज को रखा है. यह एक भारतीय परंपरा है. यह पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकलने का प्रतीक है. यह बजट नहीं है, ‘बही खाता’ है.

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बता दें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला बजट पेश किया गया है. बजट भाषण की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ने कहा कि हमारा उद्देश्य मजबूत देश के लिए मजबूत नागरिक है. पिछले पांच साल में हमने जो मेगा प्रोजेक्ट्स शुरू किए थे, उन्हें अब आगे बढ़ाने का वक्त है. चाणक्य नीति में कहा गया है कि दृढ़ संकल्प हो तो उद्देश्य पूरा होता है. उर्दू में एक शेर है- ‘‘यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चराग जलता है.’’

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आपको बताते चलें कि मोदी सरकार ने इससे पहले कई परंपराओं को बजट में तोड़ चुकी है. पहले रेल बजट को खत्म किया था, इसके बाद बजट को पेश करने की तारीख को बदला और अब ब्रीफकेस में बजट को ले जाने की परंपरा को भी खत्म कर दिया है. अब तक बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री एक ब्रीफकेस में ही बजट लेकर संसद पहुंचते थे. सीतारमण बजट को इसके बजाए लाल रंग के सीलबंद कवर पैक में इसको ले जाते हुए दिखी.

अमूमन बजट को पहले फरवरी महीने के आखिरी कारोबारी दिन को पेश किया जाता था. यह 27 या फिर 28 फरवरी होती थी. लेकिन अब इसे फरवरी की पहली तारीख को पेश किया जाता है. इसके अलावा बाजपेयी सरकार के कार्यकाल में बजट पेश करने का समय शाम पांच बजे के बजाए दिन के 11 बजे किया गया था. वहीं रेल बजट आम बजट से एक दिन पहले आता था, लेकिन अब इसे भी केंद्रीय बजट में पूरी तरह से मिला दिया गया है.

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मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति ने कहा कि यह बहीखाता है, जिसे आज भी कई व्यापारी अपने कारोबार में इस्तेमाल करते हैं. बही खाता हमारे पुराने जमाने की वर्षों से चली आ रही परंपरा है. देश के पहले वित्त मंत्री आरके चेट्टी ने भी बजट को ब्रीफकेस में ले जाने की परंपरा को शुरू किया था. हालांकि मोरारजी देसाई और कृष्णमचारी बजट को फाइल में लेकर के गए थे.

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