PMCH Doctor Strike: मरीज की मौत के बाद बवाल, मारपीट और अफरातफरी—जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से इमरजेंसी ठप, 50 से ज्यादा मरीज लौटे
Bihar news: पटना के पीएमसीएच में बुधवार रात हालात उस बिंदु पर पहुंच गए जहां अस्पताल का माहौल इलाज से ज्यादा तनाव और टकराव का केंद्र बन गया। एक मरीज की मौत के बाद शुरू हुआ मामूली विवाद अचानक हिंसा में बदल गया—गालीगलौज, धक्का-मुक्की, फिर मारपीट… और इसी हंगामे के बीच जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल की घोषणा कर दी। देखते ही देखते इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं।
रातभर अफरातफरी—50 से ज्यादा गंभीर मरीज बिना इलाज लौटे
पीएमसीएच देर रात तक किसी अराजक संकट स्थल जैसा दिख रहा था। चीख-पुकार, इधर-उधर भागते परिजन और इलाज के लिए भटकते दर्जनों मरीज- परिस्थिति इतनी खराब थी कि विभिन्न जिलों से आए 50 से अधिक गंभीर मरीज बिना उपचार वापस लौटने को मजबूर हुए।
अधीक्षक आईएस ठाकुर ने बताया कि हड़ताली डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की गई है और पूरा मामला सरकार के संज्ञान में भेज दिया गया है।
बवाल कैसे शुरू हुआ?-मरीज की मौत और आरोपों का तांत
हंगामे की जड़ में थे सुल्तानगंज-महेंद्रू निवासी 70 वर्षीय सुरेश सिंह, जिन्हें ब्रेन हेमरेज की शिकायत के साथ भर्ती कराया गया था। इमरजेंसी में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया, लेकिन परिजनों का दावा था कि “सांस चल रही है, शरीर गर्म है” इलाज करो। इसके बाद तनाव बढ़ता चला गया।
मरीज के बेटे अमन सिंह का आरोप:
• उनकी बहन ने डॉक्टर से कहा कि “सिर-शरीर गर्म है”,
• डॉक्टर इस पर भड़क गए,
• और मारपीट की नौबत आ गई।
वहीं डॉक्टरों की ओर से उलटा आरोप लगाया गया कि
• परिजनों ने महिला डॉक्टर के साथ गाली-गलौज और बदसलूकी की,
• और माहौल को बिगाड़ा।
बीच-बचाव की कोशिशें नाकाम रहीं और दोनों ओर से हाथापाई होने लगी। हालात बिगड़ते देख जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी छोड़ दी और मीटिंग के बाद तत्काल हड़ताल का फैसला कर लिया।
जूनियर डॉक्टरों की तीन बड़ी मांगें
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि सुरक्षा व्यवस्था बेहतर किए बिना वे काम पर नहीं लौटेंगे। उनकी प्रमुख मांगें:
1. हर विभाग में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था
2. मेडिकल स्टाफ पर हमले की हर घटना पर तत्काल एफआईआर
3. अस्पताल परिसर में कानून तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई
इसके साथ ही गुरुवार को ओपीडी बहिष्कार का भी ऐलान किया गया है।
PMCH में तनाव चरम पर- कब सामान्य होगी स्थिति?
लगातार विवाद, सुरक्षा की कमी और बार-बार की घटनाओं ने पीएमसीएच को इन दिनों “इलाज के मंदिर” से ज्यादा तनाव के बारूदी मैदान में बदल दिया है। इमरजेंसी बंद होने से मरीजों की परेशानी और बढ़ गई है।
सवाल अब ये है कब तक अस्पताल ऐसे ही डर और अविश्वास के माहौल में चलता रहेगा? और कब तक जीवनरक्षक सेवाएं इस टकराव की भेंट चढ़ती रहेंगी?







