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108 बच्चों की मौत के बाद सीएम नीतीश पहुंचे मुजफ्फरपुर, लगे ‘नीतीश गो बैक’ के नारे

बिहार में ‘चमकी बुखार’ का कहर लगातार जारी है. हर दिन बच्चे मर रहे हैं. इस महामारी जैसी बीमारी की चपेट में मुज़फ़्फ़रपुर और आसपास के कुछ जिले हैं. मुजफ्फरपुर में इस बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़कर 108 हो गई है, वहीं अस्पतालों में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या बढ़कर 414 हो गई… Read More »108 बच्चों की मौत के बाद सीएम नीतीश पहुंचे मुजफ्फरपुर, लगे ‘नीतीश गो बैक’ के नारे
 

बिहार में ‘चमकी बुखार’ का कहर लगातार जारी है. हर दिन बच्चे मर रहे हैं. इस महामारी जैसी बीमारी की चपेट में मुज़फ़्फ़रपुर और आसपास के कुछ जिले हैं. मुजफ्फरपुर में इस बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़कर 108 हो गई है, वहीं अस्पतालों में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या बढ़कर 414 हो गई है. इनका इलाज चल रहा है लेकिन स्थिति बहुत ही गंभीर है.

चमकी बुखार से पीड़ित ज्यादातर मरीज मुजफ्फरपुर के सरकारी श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (एसकेएमसीएच) और केजरीवाल अस्पताल में एडमिट हैं. अब तक एसकेएमसीएच हॉस्पिटल में 89 और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हो गई है.

वहीं चमकी बुखार पर मचे सियासी बवाल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज (मंगलवार) मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच हॉस्पिटल पहुंचे. मुजफ्फरपुर में स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री का विरोध करते हुए नीतीश कुमार वापस जाओ के नारे लगाए.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ बीमारी से पहले एक्शन नहीं लेने के आरोप में केस दर्ज हुआ है. बच्चों की मौत पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर जिले में इंसेफेलाइटिस वायरस की वजह से बच्चों की मौत की बढ़ती संख्या पर सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक नोटिस जारी किया है. मानवाधिकार आयोग ने कहा कि सोमवार को बिहार में एईएस से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 100 से ज्यादा हो गई है और राज्य के अन्य जिले भी इससे प्रभावित हैं. इसके साथ ही आयोग ने इंसेफेलाइटिस वायरस और चमकी बुखार की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है. मानवधिकार आयोग ने चार हफ्तों में जवाब मांगा है.

बिहार में महामारी की तरह फैल रहे चमकी बुखार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक की. जिसके बाद फैसला हुआ कि उनकी टीम हर उस घर में जाएगी जिस घर में इस बीमारी से बच्चों की मौत हुई है, टीम बीमारी के बैक ग्राउंड को जानने की कोशिश करेगी, क्योंकि सरकार अब तक यह पता नहीं कर पाई है कि आखिर इस बीमारी की वजह क्या है. कई विशेषज्ञ इसकी वजह लीची वायरस बता रहे हैं, लेकिन कई ऐसे पीड़ित भी हैं, जिन्होंने लीची नहीं खाई.

नीतीश कुमार की बैठक में फैसला किया गया कि चमकी से प्रभावित बच्चों को निशुल्क एंबुलेंस मुहैया कराई जाएगी और पूरे इलाज का खर्च सरकार उठाएगी. वहीं इस बीमारी से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा.