दुनिया के 24 देश ‘चमकी बुखार’ से परेशान, भारत में 8 साल में 11 हजार मौतें
उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर व आसपास के जिलों में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है. 18वें दिन मंगलवार को कुल नौ बच्चों की जान चली गई. मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में पांच, समस्तीपुर सदर अस्पताल में दो व बेतिया मेडिकल कॉलेज व मोतिहारी सदर अस्पताल में एक-एक बच्चे की मौत हुई है.
आपको बता दें कि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार से सिर्फ भारत में बच्चों की जान नहीं जा रही बल्कि इसकी जद में दक्षिण-पश्चिम एशिया और पश्चिमी प्रशांत के 24 देश भी हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार इन 24 देशों के करीब 300 करोड़ लोगों पर इसके संक्रमण का खतरा रहता है.
अगर सिर्फ भारत की बात करें तो राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार 2011 से अब तक यानी आठ साल में AES और जैपेनीज इंसेफेलाइटिस यानी चमकी बुखार के 91,968 मामले सामने आए हैं. इनमें से 11,254 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 99 फीसदी पीड़ित 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे.
देश के 20 राज्यों में 178 जिलों में AES और जैपेनीज इंसेफेलाइटिस का प्रकोप करीब-करीब हर साल फैलता है. ये राज्य है – आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, पंजाब, त्रिपुरा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल.
मच्छरों की वजह से होता है AES
AES क्यूलेक्स मच्छरों की वजह से होता है. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम जैपेनीज इंसेफेलाइटिस का घातक रूप है. WHO की रिपोर्ट के अनुसार इसकी वजह से हर साल दुनिया के 24 देशों में 13,600 से 20,400 बच्चों की मौत होती है. WHO ने वर्ष 2006 में AES शब्द को एक ऐसे रोग समूह के रूप में दर्शाया, जिसमें कई बीमारियों के लक्षण दिखते हैं, इनमें अंतर करना मुश्किल होती है, इसलिए इलाज भी मुश्किल हो जाता है. जैपेनीज इंसेफेलाइटिस पहली बार 1871 में जापान में खोजा गया था.
ये बीमारियां भी बन सकती हैं एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम का कारण
WHO के अनुसार हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस, निपाह वायरस, जीका वायरस, इन्फ्लुएंजा ए वायरस, वेस्ट नाइल वायरस, चंडीपुरा वायरस, मम्प्स, खसरा, डेंगू, स्क्रब टाइफस, एस. न्यूमोनिया भी AES का कारण बन सकती हैं. इंसेफलाइटिस को प्राय: जापानी बुखार भी कहा जाता है, क्योंकि यह जापानी इंसेफलाइटिस नामक वायरस के कारण होता है. यह एक प्राणघातक संक्रामक बीमारी है, जो फ्लैविवायरस के संक्रमण से होती है. यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है, जिनकी प्रतिरक्षा वयस्कों की तुलना में काफी कमजोर होती है.
चमकी बुखार के लक्षण क्या हैं?
चमकी बुखार के लक्षण क्या है? लोग ये कैसे अंतर कर पाएंगे कि उनके बच्चे को चमकी बुखार है आम बुखार नहीं. चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा ही रहता है. बदन में ऐंठन होती है. बच्चे दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं. कमजोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है. यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है. कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटी काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा. जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है.