Movie prime

सदन में बुधवार को एक बेहद रोचक आया मामला, बाबूलाल ने सदन में उठाया सवाल, संसदीय कार्य मंत्री बोले, गंभीर विषय

Jharkhand Assembly Session: बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वोटर्स हमें लाख दो लाख लोग वोट देकर जीताते हैं. प्रमुख लोगों को जब दिल्ली जाना होता है तो हम झारखंड भवन बुक कराने का आग्रह करते हैं. पिछले दिनों मैंने बुक कराने के लिए संपर्क किया तो बताया गया कि नियम बदल गया है...
 
BABULAL MARANDI

Jharkhand Assembly Session: सदन में बुधवार को एक बेहद रोचक मामला आया. बाबूलाल मरांडी ने विधायकों से जुड़े एक विषय से सदन को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने एक सर्कुलर जारी किया है. उसके मुताबिक झारखंड भवन में वह रह सकते हैं जो विधायक के सगे संबंधी हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी जनप्रतिनिधि हैं. विधायक के सगे संबंधी में पति-पत्नी, माता-पिता, बच्चे, सास-ससुर, साला-साली आते हैं. यह अफसरों के लिए फिट हो सकता है. लेकिन हमारे जैसे लोगों के लिए सही नहीं है.

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वोटर्स हमें लाख दो लाख लोग वोट देकर जीताते हैं. प्रमुख लोगों को जब दिल्ली जाना होता है तो हम झारखंड भवन बुक कराने का आग्रह करते हैं. पिछले दिनों मैंने बुक कराने के लिए संपर्क किया तो बताया गया कि नियम बदल गया है. कहा गया कि मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने इसको बंद कर दिया है. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सदन के सदस्य रामेश्वर उरांव जी ने आलोक दुबे और लाल किशोर नाथ शाहदेव को अपना संबंधी बताकर झारखंड भवन बुक कराया था. यह आदेश अफसरों के लिए ठीक हो सकता है.

उन्होंने कहा कि दिल्ली में ऊर्जा विभाग का गेस्ट हाउस भी है. पांच लाख रु. प्रतिमाह दिया जाता है. वहां कोई विधायक ठहरा है कि नहीं, पता नहीं. वहां गाड़ियां और स्टाफ भी हैं. किस काम में उपयोग होता है. उस भवन की भी पांच साल की सूची मंगवाकर दिखाएं कि कौन किसकी अनुशंसा पर ठहरा था. जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा दुरुपयोग कैसे हो सकता है.

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह जो सर्कुलर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने जारी किया है उसे वापस ले. यह भवन अफसरों के बीवी-बच्चों और साले-साली के लिए नहीं बना है. जगह खाली रहेगा तो मिलेगा या नहीं मिलेगा. हमें अगर लिखना पड़े कि हमारे संबंधी हैं तो यह उचित नहीं होगा. संसदीय कार्य मंत्री को इसका जवाब देना चाहिए. संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विषय है. सरकार इसको लेकर गंभीर है. बात सही है कि जनप्रतिनिधि जनादेश प्राप्त कर सदन के सदस्य बनते हैं. उनकी इच्छा भी होती है कि वे खुद या उनकी अनुपस्थिति में कोई रह सकता है. ऐसा निर्णय बिना कैबिनेट की स्वीकृति के नहीं हो सकता है. विश्वास दिलाता हूं कि इसपर सरकार विचार करेगी. यह जांच का विषय भी हो सकता है. सदस्यों की अनुशंसा के आलोक में कोई झारखंड भवन में ठहरना चाहता है तो उनको स्थान मिलना चाहिए.

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पता करना चाहिए कि पांच वर्षों में वहां कौन-कौन ठहरा. किसकी सिफारिश पर ठहरा. किसकी अनुशंसा से वहां लोग रहते आ रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि इसका समाधान निकाला जाएगा.