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निर्माण के लिए खुदाई की गई, तो जमीन के नीचे से निकली 1100 साल पुरानी मूर्ति, भगवान शिव और पार्वती की संयुक्त प्रतिमा बताई जा रही

Hazaribagh Desk: हजारीबाग जिले के कटकमदाग प्रखंड अंतर्गत गोदखर गांव के अंबेडकर नगर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे एक घर की खुदाई के दौरान करीब 1100 साल पुरानी अति प्राचीन मूर्ति मिलने से सनसनी फैल गई है...
 
JHARKHAND NEWS

Hazaribagh Desk: झारखंड के हजारीबाग में 1100 साल पुरानी मूर्ति मिलने से सनसनी फैल गई. यहां पीएम आवास योजना के तहत एक मकान बनाया जा रहा था, खुदाई के दौरान यह मूर्ति मिली, जिसे देख लोग हैरान रह गए. तुरंत प्रशासन को सूचना दी गई. पुरातत्वविद डॉ. नीरज मिश्रा ने इस मूर्ति को भगवान शिव और पार्वती की संयुक्त प्रतिमा बताया है. उनका कहना है कि यह लगभग 9वीं या 10वीं शताब्दी की है.

PM आवास योजना से बन रहा था मकान, खुदाई में अचानक निकल आई 1100 साल पुरानी  मूर्ति - Jharkhand News

हजारीबाग जिले के कटकमदाग प्रखंड अंतर्गत गोदखर गांव के अंबेडकर नगर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे एक घर की खुदाई के दौरान करीब 1100 साल पुरानी अति प्राचीन मूर्ति मिलने से सनसनी फैल गई है. दरअसल, गोदखर गांव की धनवा देवी को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला था. मकान निर्माण के लिए जमीन की खुदाई जेसीबी मशीन से कराई जा रही थी. इसी दौरान अचानक मिट्टी के नीचे दबी एक विशाल और कलात्मक पत्थर की मूर्ति बाहर निकली. जैसे ही यह खबर फैली, देखते ही देखते ग्रामीणों की भीड़ मौके पर जुट गई.

शिव-पार्वती की प्रतिमा
स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना वरिष्ठ पत्रकार मुरारी सिंह को दी. मुरारी सिंह ने मूर्ति का फोटो और वीडियो रांची यूनिट के प्रसिद्ध पुरातत्वविद डॉक्टर नीरज मिश्रा को भेजा. फोटो और वीडियो देखने के बाद डॉ नीरज मिश्रा ने दावा किया कि यह मूर्ति पाल वंश काल की है और संभवतः नौवीं से दसवीं शताब्दी के बीच की है. उन्होंने इसे भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त प्रतिमा ‘उमा–महेश्वर’ बताया है. मूर्ति की शिल्पकला और बनावट उस दौर की उन्नत कला शैली को दर्शाती है.

मूर्ति मिलने के बाद पूरे क्षेत्र में चर्चा का माहौल गर्म है. जिस स्थान से मूर्ति निकली है, वहां के परिवार ने इसे फिलहाल अपने घर में सुरक्षित रखा है और पूजा-पाठ भी शुरू कर दिया गया है. दूर-दूर से लोग इस अद्भुत खोज को देखने पहुंच रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में एक मंदिर बनाकर मूर्ति की विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा की जानी चाहिए. वहीं कुछ लोग इसे लेकर असमंजस में हैं कि आगे प्रशासन और सरकार का रुख क्या होगा. धनवा देवी का कहना है कि उन्हें सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि उनके घर की नींव से इतिहास निकलेगा. वहीं स्थानीय निवासी बिगुल दास ने बताया कि यह इलाका पहले भी ऐतिहासिक अवशेषों के लिए जाना जाता रहा है.

गौरतलब है कि हजारीबाग के छड़वा डैम क्षेत्र और बहुरनपुर में पहले भी प्राचीन अवशेष और बुद्ध की मूर्तियां मिल चुकी हैं. इससे साफ है कि यह पूरा क्षेत्र ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद समृद्ध है. जरूरत है कि सरकार और पुरातत्व विभाग इस खोज का संज्ञान लें, ताकि मिट्टी में दबी हजारों साल पुरानी धरोहरें सामने आ सकें और हजारीबाग का गौरव राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी स्थापित हो सके.