हेमंत सरकार पर भाजपा ने लगाए वादे भूल जाने का आरोप जिसपर सरकार ने दिया भाजपा को करारा जवाब
Jharkhand Desk: झारखंड की राजनीति में इन दिनों 2024 के विधानसभा चुनावों के लिए सत्ताधारी पार्टियों का घोषणापत्र केंद्र में है. बीजेपी नेता और कार्यकर्ता झामुमो, कांग्रेस और राजद के संयुक्त घोषणापत्र को बहाना बनाकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की आलोचना कर रहे हैं. बीजेपी का आरोप है कि सरकार दिवालिया हो गई है.
दूसरी ओर, सरकार में शामिल दलों के नेता बीजेपी को कोस रहे हैं, उनका दावा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार झारखंड को उसका हक का हिस्सा नहीं दे रही है. इसके बावजूद, हेमंत सोरेन सरकार अपने संसाधनों का इस्तेमाल करके लोगों से किए गए वादों को पूरा करने के लिए काम कर रही है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि किसानों को धान के लिए ₹3200 प्रति क्विंटल MSP और ₹450 में सिलेंडर देने के वादे भी पूरे किए जाएंगे.
झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने हेमंत सोरेन सरकार के दिवालिया होने के बीजेपी के आरोपों पर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी नेताओं के दावों को सच भी मान लिया जाए, तो इसके लिए खुद बीजेपी ही जिम्मेदार है. केंद्र सरकार हमें हमारा हक का ₹1.4 लाख करोड़ नहीं दे रही है. हमें केंद्र और राज्य की संयुक्त योजनाओं में केंद्र सरकार का हिस्सा नहीं मिल रहा है. अबुआ आवास योजना और हर घर नल जल योजना केंद्रीय योजनाएं हैं, फिर भी हमें फंड नहीं दिया जा रहा है. मनोज पांडे ने कहा कि केंद्र सरकार संघीय ढांचे के खिलाफ जाकर हमें पैसे नहीं दे रही है, जिससे मुश्किलें हो रही हैं. इसके बावजूद, हमारे नेता हेमंत सोरेन राज्य के अपने संसाधनों का इस्तेमाल करके लोगों से किए गए वादों को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं.
वहीं राजद के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने कहा कि बीजेपी नेताओं को सार्वजनिक रूप से झारखंड सरकार या सत्ताधारी पार्टियों के घोषणापत्र पर सवाल उठाने से बचना चाहिए. उन्होंने पूछा कि क्या केंद्र सरकार द्वारा झारखंड को फंड का हक का हिस्सा न देना और विभिन्न केंद्रीय योजनाओं में केंद्र सरकार का हिस्सा न देना संघीय ढांचे के अनुसार है? उन्होंने कहा कि हमारी गठबंधन सरकार अपने संसाधनों का इस्तेमाल करके राज्य के विकास में लगी हुई है.
विधानसभा चुनाव के समय झामुमो, कांग्रेस और राजद का संयुक्त घोषणा पत्र के प्रमुख संकल्प
- गरीब परिवारों को फ्री बिजली 200 यूनिट से बढ़कर 250 यूनिट प्रति माह किया जायेगा. साथ ही कृषि कार्य के लिए मुफ्त बिजली दी जायेगी.
- धान खरीद मूल्य 2400/- क्विंटल से बढ़कर 3200/- किया जायेगा.
- जातिगत जनगणना कराया जायेगा. साथ ही क्रिमी लेयर 10 लाख किया जायेगा.
- अविभाजित बिहार में जो SC समुदाय में सूचीबद्ध थे, उन्हें राज्य निर्माण के बाद सामान्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया, जिन्हें पुनः SC का दर्जा दिया जायेगा.
- हो, मुंडारी, खड़िया, कुडूख एवं कुडमाली भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा.
- आदिवासियों की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को मूलरूप में लागू किया जायेगा.
- शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए हर प्रखंड में अंग्रेजी माध्यम के उत्कृष्ट विद्यालय की संख्या बढ़ायी जायगी.
- खेलों को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में प्रशिक्षण की व्यवस्था खेल संगठनों के माध्यम से कराया जायेगा.
- सभी सरकारी नौकरी के रिक्तियों को एक वर्ष में भरे जायेंगे.
- नियुक्ति परीक्षाओं की समय सीमा निर्धारित करते हुए प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जायेगा.
- राज्य में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक कारीगरों के प्रशिक्षण एवं उनके उत्पाद के मार्केटिंग की व्यवस्था की जायेगी.
- सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के स्थापना के लिए रियायती दर पर भूमि उपलब्ध करायी जायेगी.
- रोजगार ज्यादा सृजन करने वाले विनिर्माण क्षेत्र के उद्योग के लिए विशेष नीति बनाई.
- माहिलाओं को ज्यादा रोजगार देने वाले वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए टेक्सटाइल पार्क की स्थापना की जायेगी.
- स्वास्थ्य सेवा अधिनियम को अक्षरशः लागू कर राज्य के प्रत्येक नागरिक को चिकित्सा के अधिकार की गारंटी दी जायेगी.
- अबुआ आवास योजना का दायरा बढ़ाकर राज्य के सभी गरीब परिवारों को पक्का आवास उपलब्ध कराया जायेगा.
- वर्ष 2014-2019 में भाजपा सरकार द्वारा लाया गया भूमि बैंक रद्द किया जायेगा.
- भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना कानून 2013 के तहत विस्थापितों को दिये जाने वाले मुआवजा एवं अन्य सुविधाओं को ससमय एवं न्यायसंगत तरीके से दिलाने हेतु विस्थापन आयोग का गठन किया जायेगा.
- GIG Workers का सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून/नियम बनाया जायेगा.
- सरना आदिवासियों की धार्मिक पहचान को सुनिश्चित करते हुए उनके द्वारा राज्य के सुदूर क्षेत्रों में निजी विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं, उक्त विद्यालयों के लिए नियमावली बनाकर स्थापना की अनुमति देते हुए स्वीकृति प्रदान कर अनुदान की व्यवस्था की जायेगी.
- राज्य के अनुसूचित क्षेत्र की सुरक्षा हेतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (5) एवं (6) के तहत विधानसभा कानून पारित कर लागू किया जायेगा.
- रैयतों की भूमि सुरक्षा हेतु सीएनटी एवं एसपीटी कानूनों को सख्ती से लागू किया जायेगा.
- आदिवासियों की गैर-कानूनी भूमि हस्तांतरण की जांच एवं वापसी हेतु एक टास्क फोर्स का गठन कर भूमि सुरक्षा को सुनिश्चित किया जायेगा.
- मॉब लिंचिग रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाये जायेंगे.







