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झरिया मास्टर प्लान को मिली केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी, भूधसान और कोयला आग से त्रस्त हज़ारों लोगों को मिलेगी राहत

केंद्र सरकार की कैबिनेट ने आज झरिया मास्टर प्लान के संशोधित अनुमान (रिवाइज्ड एस्टीमेट) को स्वीकृति दे दी है। यह फैसला झरिया क्षेत्र के उन हजारों परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो दशकों से जमीन के नीचे सुलगते कोयले की आग और भू-धसाव जैसी आपदाओं का सामना कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि झरिया पुनर्वास और क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (JRDA) ने करीब एक वर्ष पूर्व इस संशोधित योजना का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, जिसकी आज औपचारिक मंजूरी मिल गई। इस निर्णय से लगभग एक लाख लोगों को सुरक्षित स्थान पर बसाने की प्रक्रिया को गति मिलेगी।

कोयले की आग बनी है अभिशाप
झरिया क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या जमीन के नीचे सालों से सुलगते कोयले की आग है, जिससे लगातार भूधसान की घटनाएं सामने आती रही हैं। कई बार तो स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि जमीन से सीधे आग की लपटें निकलने लगती हैं, जिससे आम नागरिकों का जीवन खतरे में पड़ जाता है।

इस गंभीर समस्या से निजात दिलाने के लिए वर्ष 2009 में केंद्र सरकार ने झरिया पुनर्वास योजना को मंजूरी दी थी। उस समय इस योजना के लिए लगभग 7100 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे और इसे 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया था।

पुनर्वास योजना की धीमी रफ्तार
योजना के तहत हजारों परिवारों को नए घर बनाकर सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया और आग पर नियंत्रण के प्रयास भी किए गए। बावजूद इसके 2021 में योजना की अवधि पूरी हो जाने के बाद भी कई अत्यंत संवेदनशील क्षेत्रों में बसे लोग अब भी खतरे की जद में हैं।

जानकारी के अनुसार, झरिया के इस प्रभावित क्षेत्र में 81 अति संवेदनशील इलाके चिन्हित किए गए हैं, जहां लगभग 15,000 परिवार निवास करते हैं। इनमें से करीब 1860 रैयत (कानूनी ज़मींदार) हैं जबकि शेष लोग अवैध रूप से कब्जा कर बसे हुए हैं।