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राहुल गांधी को झारखंड हाईकोर्ट से फिलहाल राहत, चाईबासा कोर्ट के संज्ञान लेने और आरोप गठन का आदेश रद्द

Jharkhand Desk: पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ मजिस्ट्रेट द्वारा फिर से संज्ञान लेते हुए समन जारी किया गया, जिसके बाद पुनरीक्षण याचिका को अनुमति दी गई. हाईकोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया को कानूनी दृष्टिकोण से त्रुटिपूर्ण माना और संज्ञान आदेश को निरस्त करते हुए मामला निचली अदालत को दोबारा विचार के लिए भेज दिया.
 
RAHUL GANDHI
पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ मजिस्ट्रेट द्वारा फिर से संज्ञान लेते हुए समन जारी किया गया, जिसके बाद पुनरीक्षण याचिका को अनुमति दी गई. हाईकोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया को कानूनी दृष्टिकोण से त्रुटिपूर्ण माना और संज्ञान आदेश को निरस्त करते हुए मामला निचली अदालत को दोबारा विचार के लिए भेज दिया.

Jharkhand Desk: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने चाईबासा सिविल कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में संज्ञान लेने के आदेश को रद्द कर दिया है. साथ ही, मामले को पुनः विचार के लिए निचली अदालत को वापस भेज दिया गया है. हाईकोर्ट की एकलपीठ, जिसमें न्यायाधीश जस्टिस अनिल कुमार चौधरी शामिल थे उन्होंने स्पष्ट किया कि वरिष्ठ मजिस्ट्रेट द्वारा पारित संज्ञान आदेश, सत्र न्यायालय के आदेश से प्रभावित होकर दिया गया था, जो न्यायसंगत नहीं माना जा सकता.

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क्या है मामला?
दरअसल, इस केस में शिकायतकर्ता द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसे पहले वरिष्ठ मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद शिकायतकर्ता ने उस निर्णय के खिलाफ वरिष्ठ सत्र न्यायालय में आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की थी. पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ मजिस्ट्रेट द्वारा फिर से संज्ञान लेते हुए समन जारी किया गया, जिसके बाद पुनरीक्षण याचिका को अनुमति दी गई. हाईकोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया को कानूनी दृष्टिकोण से त्रुटिपूर्ण माना और संज्ञान आदेश को निरस्त करते हुए मामला निचली अदालत को दोबारा विचार के लिए भेज दिया.

राहुल गांधी की ओर से अधिवक्ता दीपांकर राय ने की बहस
इस मामले में राहुल गांधी की ओर से अधिवक्ता दीपांकर राय ने पक्ष रखा और संज्ञान लेने की प्रक्रिया को गैर-कानूनी और प्रक्रियात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण बताया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.