Jharkhand News: रांची नगर निगम में टाउन प्लानिंग पर हाईकोर्ट की कड़ी चोट, प्रतिनियुक्त इंजीनियरों से छीना नक्शा पास करने का अधिकार
Ranchi, Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट ने रांची नगर निगम में टाउन प्लानर की नियुक्ति और उनके अधिकारों को लेकर गंभीर अनियमितताओं पर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने प्रतिनियुक्ति पर आए दो इंजीनियरों को टाउन प्लानर के रूप में काम करने से तत्काल रोक लगा दी है और स्पष्ट किया है कि अब भवन नक्शों की स्वीकृति का कार्य केवल नियमित रूप से नियुक्त असिस्टेंट टाउन प्लानर ही करेंगे।
यह निर्देश जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने एक अपील याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि बिना निर्धारित शैक्षणिक योग्यता और अनुभव वाले अभियंताओं से टाउन प्लानिंग जैसे तकनीकी कार्य कराना न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि इससे अब तक स्वीकृत भवन नक्शों की वैधता पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।
नियमों के बावजूद योग्य टाउन प्लानरों को काम से दूर रखा गया
सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष यह तथ्य सामने आया कि रांची नगर निगम में अन्य विभागों से प्रतिनियुक्त दो इंजीनियरों को टाउन प्लानर की तरह नक्शा पास करने का अधिकार दे दिया गया था, जबकि वे भर्ती नियमों के अनुरूप योग्य नहीं थे। इसके उलट, राज्य सरकार द्वारा नियमों के तहत नियुक्त असिस्टेंट टाउन प्लानर मौजूद होने के बावजूद उनसे वास्तविक टाउन प्लानिंग का काम नहीं लिया जा रहा था।
मंत्री स्तर के हस्तक्षेप पर अदालत की दो-टूक
नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव ने अदालत को बताया कि असिस्टेंट टाउन प्लानरों को स्वतंत्र रूप से काम करने देने के लिए विभागीय मंत्री की स्वीकृति ली जा रही है। इस पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब विधानसभा ने कानून बना दिया और राज्यपाल ने उसे मंजूरी दे दी, तो किसी मंत्री, मुख्यमंत्री या यहां तक कि राज्यपाल को भी उसके क्रियान्वयन में बाधा डालने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने इसे 74वें संविधान संशोधन के तहत शहरी निकायों की स्वायत्तता के खिलाफ बताया।
भवन मालिकों को हो सकता है बड़ा नुकसान
अदालत ने चेतावनी दी कि यदि अयोग्य अधिकारियों द्वारा नक्शा पास किया जाता रहा, तो भविष्य में उन भवनों की वैधता पर गंभीर कानूनी संकट खड़ा हो सकता है। इसका सीधा खामियाजा उन आम नागरिकों को भुगतना पड़ेगा, जिन्होंने कर्ज लेकर मकान या व्यावसायिक इमारतें बनवाई हैं।
फ्लो चार्ट पर भी कोर्ट की नाराजगी
सुनवाई के दौरान नगर निगम द्वारा पेश एक फ्लो चार्ट पर भी अदालत ने असहमति जताई। इसमें दो मंजिल तक के नक्शे पास करने का अधिकार टाउन प्लानर और उससे ऊपर की मंजिलों के लिए नगर आयुक्त को अधिकार दिखाया गया था।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि झारखंड नगर पालिका अधिनियम, 2011 की धारा 427 और 429 के अनुसार नक्शा स्वीकृति की वैधानिक शक्ति नगर आयुक्त या सक्षम प्राधिकारी को ही प्राप्त है। किसी आंतरिक फ्लो चार्ट के जरिए इस अधिकार का बंटवारा करना कानून और संविधान दोनों के साथ खिलवाड़ है।
आश्वासन न निभाने पर अवमानना नोटिस
कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि पहले एक याचिका की सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम के प्रशासक ने टाउन प्लानर और लीगल सेक्शन की सेवाएं लेने का आदेश शीघ्र जारी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन लंबे समय तक कोई आदेश नहीं निकाला गया। इसके बाद अवमानना याचिका दायर हुई।
जांच में सामने आया कि इस आश्वासन को लागू करने में शहरी विकास विभाग और उसके प्रधान सचिव ही बाधा बन रहे थे, जिसके चलते उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया गया था।
अगली सुनवाई 29 जनवरी को
खंडपीठ ने साफ निर्देश दिया है कि रांची नगर निगम में टाउन प्लानिंग से जुड़े सभी तकनीकी कार्य और नक्शा स्वीकृति की प्रक्रिया अब केवल नियमों के तहत नियुक्त असिस्टेंट टाउन प्लानरों के माध्यम से ही की जाए। मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी।







