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झारखंड राजभवन का नाम बदलकर बिरसा भवन रखा जाए, मंत्री ने रखा प्रस्ताव

Jharkhand Assembly Session: बुधवार को 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने इस बाबत अपना प्रस्ताव सदन में रखा. उन्होंने कहा, 'हम सब जानते हैं कि गवर्नर को प्रेसिडेंट नियुक्त करते हैं. लेकिन, संविधान के आर्टिकल 154 के तहत, राज्य की एग्जीक्यूटिव पावर गवर्नर के पास होती है और इसलिए गवर्नर का ऑफिस एक स्टेट ऑफिस है...
 
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Jharkhand Assembly Session: झारखंड के राजभवन को बिरसा भवन और उपराजधानी दुमका स्थित राजभवन के नाम को शहीद सिदो कान्हू के नाम पर रखने का प्रस्ताव संसदीय मामलों के मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बुधवार को विधानसभा में रखा. उन्होंने कहा कि राजभवन, राज्य सरकार की संपत्ति है और इसका नाम बदलने का अधिकार राज्य सरकार के पास है.

दरअसल, झारखंड में राजभवन का नाम आधिकारिक तौर पर 3 दिसंबर को लोकभवन कर दिया गया, जो औपनिवेशिक काल के नामों को हटाने की देशव्यापी पहल का हिस्सा था. यह बदलाव केंद्रीय गृह मंत्रालय के देश भर के राजभवनों का नाम बदलकर लोकभवन और राज निवास का नाम बदलकर लोक निवास करने के निर्देशों के बाद आया है.

बुधवार को 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने इस बाबत अपना प्रस्ताव सदन में रखा. उन्होंने कहा, 'हम सब जानते हैं कि गवर्नर को प्रेसिडेंट नियुक्त करते हैं. लेकिन, संविधान के आर्टिकल 154 के तहत, राज्य की एग्जीक्यूटिव पावर गवर्नर के पास होती है और इसलिए गवर्नर का ऑफिस एक स्टेट ऑफिस है. राज्य के विधायी काम गवर्नर के ऑफिस से किए जाते हैं.'

उन्होंने कहा कि राजभवन राज्य सरकार की प्रॉपर्टी है. सिर्फ राज्य सरकार के पास ही राज्य में बनी सरकार की चल और अचल संपत्ति का नाम बदलने का अधिकार है. इस बात को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव है कि रांची में राजभवन का नाम बदलकर बिरसा मुंडा के नाम पर बिरसा भवन और दुमका में राजभवन का नाम बदलकर सिदो-कान्हू भवन कर दिया जाए.

रांची के बीचों-बीच मौजूद राजभवन कॉम्प्लेक्स 52 एकड़ में फैला है और ऑड्रे हाउस 10 एकड़ में फैला है. राजभवन का कंस्ट्रक्शन 1930 में शुरू हुआ और मार्च 1931 में 7 लाख रुपये की अनुमानित लागत से पूरा हुआ था. पिछले दिनों गवर्नर की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर राजभवन का नाम लोकभवन कर दिया गया था.