छापेमारी की भनक लगते ही फरार हुआ जमीन माफिया कमलेश

प्रवर्तन निदेशालय ने कल यानी शुक्रवार को जमीन कारोबारी कमलेश कुमार के ठिकानों पर छापेमारी की। हालांकि कमलेश को इसकी भनक पहले ही लग गयी थी। ईडी ने जमीन कारोबारी शेखर कुशवाहा को हिरासत में लेकर जब पूछताछ की, तो कई जानकारी मिली। जिसके बाद ईडी ने कमलेश कुमार को समन जारी किया, लेकिन कमलेश ईडी दफ्तर नहीं पहुंचे। गौरतलब है कि, कमलेश कुमार को ईडी की छापेमारी की भनक लग गयी थी, इसीलिए वह टीम के पहुंचने से पहले की रांची से बाहर चला गया। विदित हो कि कमलेश कुमार के खिलाफ कांके थाना में आर्म्स एक्ट का केस दर्ज हुआ। ईडी की छापेमारी में कमलेश के फ्लैट से 100 राउंड जिंदा कारतूस मिले थे।
बताते चलें कि करीब आठ साल पहले कमलेश पेशे से फोटोग्राफर था। वह रांची के ही एक स्थानीय अखबार में काम करता था। साल 2016 में उसकी रांची के कुछ पुलिस अफसरों और प्रभावशाली लोगों से जान-पहचान हुई। इसके बाद उसने कांके में जमीन की खरीद-बिक्री शुरू की। देखते ही देखते बाइक पर घूमने वाला कमलेश महंगी गाड़ियों से घूमने लगा। जमीन के इस धंधे से अकूत संपत्ति बनाई। अब वह कंस्ट्रक्शन और रिजॉर्ट के धंधे में भी उतर गया है।

करीब 5 साल पहले कमलेश उस समय चर्चा में आया, जब कांके अंचल के रिंग रोड के पास चामा मौजा में स्थित हल्का 3, खाता संख्या 87 के प्लाट संख्या 1232 पर बनी पुलिस हाउसिंग कॉलोनी का मामला सामने आया। उस जमीन में 50.90 डिसमिल का प्लॉट तत्कालीन डीजीपी डीके पांडे ने अपनी पत्नी पूनम पांडे के नाम पर ली। इसके अलावा 17 अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों ने अपने परिजनों के नाम पर जमीन खरीदी। गैर मजरूआ सरकारी जमीन होने के बाद भी उसकी रजिस्ट्री और म्यूटेशन होने पर बवाल हुआ। तब कांके थाना में 27 नवंबर 2020 को तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक रंजीत कुमार ने कमलेश के खिलाफ केस दर्ज कराया था।