संजय मिश्रा और महिमा चौधरी की ये फिल्म एंटरटेनमेंट के साथ-साथ जरूरी मैसेज भी देती है, रांची में “दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी” की Special Screening
Ranchi: अगर कौई औरत अकेली रहती है तो इसका मतलब ये है कि उसका कैरेक्टर ठीक नहीं है. अगर कोई औरत अपनी मर्जी से अपने दोस्त बनाती है, अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी जीती है तो क्या सोसाइटी को उसे कुछ भी कहने का हक है. संजय मिश्रा और महिमा चौधरी का एक वीडियो कुछ दिन पहले काफी वायरल हुआ था, वीडियो में दिखाया गया कि दोनों ने शादी कर ली है. जिसे देखकर फैंस जितना उत्साहित थे उससे कई ज्यादा शॉक. महिमा और संजय मिश्रा का ये वीडियो हर किसी के लिए शॉकिंग था लेकिन ये असली शादी नहीं थी. ये फिल्म का प्रमोशन था नाम है ‘दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी’ लेकिन इस वीडियो ने इस फिल्म को लेकर दिलचस्पी जगा दी थी.
-1764930752567.webp)
रांची से जुड़ा भावनात्मक रिश्ता
इस स्क्रीनिंग का रांची से गहरा जुड़ाव है. फिल्म के निर्माता एकांश बच्चन और हर्षा बच्चन रांची से ताल्लुक रखते हैं. अपने गृह नगर में फिल्म की विशेष प्रस्तुति उनके लिए घर वापसी जैसा अनुभव होगा. यह मौका उनके लिए अपनी जड़ों के बीच अपने काम को साझा करने और जश्न मनाने का है.
हर्षा बच्चन का बहुआयामी योगदान
निर्माता होने के साथ हर्षा बच्चन एक गायिका भी हैं. उन्होंने फिल्म में अपनी आवाज दी है. उनके इस योगदान से फिल्म को एक व्यक्तिगत और भावनात्मक स्पर्श मिला है, जो दर्शकों को जोड़ने का काम करेगा..

क्या है कहानी
दुर्लभ प्रसाद यानि संजय मिश्रा अपने बेटे और साले के साथ रहते हैं. उनकी पत्नी ये दुनिया छोड़कर जा चुकी हैं, उनके बेटे को एक लड़की से प्यार हो जाता है लेकिन लड़की के घरवाले शर्त रखते हैं कि जब तक आपके घर में कोई औरत नहीं आती तब तक वो ये शादी नहीं होने देंगे. ऐसे में दुर्लभ प्रसाद का बेटा उनकी दूसरी शादी करवाने में लग जाता है. अब ये शादी होती है या नहीं, इसके लिए आपको थिएटर जाकर ये फिल्म देखनी होगी.
कैसी है फिल्म
ये एक बढ़िया एंटरटेनिंग फिल्म है, इस फिल्म को आप पूरी फैमिली के साथ देख सकते हैं. फिल्म शुरू से ही अपने मुद्दे पर आ जाती है, एक बुजुर्ग की शादी की ये कहानी मजेदार है और साथ ही हल्के फुल्के अंदाज में कई जरूरी मैसेज भी दे जाती है. पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं करते, क्या बच्चों की पेरेंट्स की तरफ कोई जिम्मेदारी नहीं होती, क्या बुजुर्गों को समाज के बनाए दायरों में ही रहना होगा. ये फिल्म कोई चीजों को बड़े एंटरटेनिंग तरीके से बताती है. कहीं कोई ज्ञान नहीं देती, कॉमेडी सीन आपको हंसाते हैं. ह्यूमर को बड़े परफेक्ट तरीके से फिल्म की स्क्रिप्ट में पिरोया गया है. कुल मिलाकर ये फिल्म हल्के फुल्के अंदाज में काफी कुछ कह जाती है जो आपको सुनना चाहिए.
फिल्म की टीम और कलाकार
फिल्म का निर्देशन सिद्धांत राज सिंह ने किया है। एकांश बच्चन और हर्षा बच्चन इसके निर्माता हैं, जबकि रमित ठाकुर सह निर्माता हैं। कहानी प्रशांत सिंह ने लिखी है। फिल्म में महिमा चौधरी और संजय मिश्रा समेत कई जाने माने कलाकार नजर आएंगे। मुख्य कलाकारों के साथ सह कलाकार, गायक और तकनीकी टीम की मौजूदगी इस स्क्रीनिंग को खास बनाएगी।
केवल स्क्रीनिंग नहीं, सिनेमा का उत्सव
निर्माताओं के अनुसार यह फिल्म एक पारिवारिक मनोरंजन है, जिसमें अनोखी कहानी, भावनात्मक गहराई और सहज हास्य देखने को मिलेगा। रांची में होने वाली यह स्क्रीनिंग सिर्फ फिल्म दिखाने का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि सिनेमा, संस्कृति और अपनी मिट्टी से जुड़े गर्व का उत्सव है।







