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सारंडा सैंक्चुअरी मामला: राज्य सरकार ने शपथ पत्र दायर करने के लिए मांगा एक दिन का अतिरिक्त समय, कल होगी सुनवाई

Jharkhand Desk: सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देशों के अनुरूप क्षेत्र को सेंक्चुअरी घोषित करना चाहती है, लेकिन सेंक्चुअरी से बाहर 1 किलोमीटर के दायरे में खनन कार्य प्रतिबंधित रहता है. इस वजह से SAIL और अन्य वैध लीज प्रभावित हो सकते हैं. इसलिए सरकार ने कोर्ट से क्षेत्र चिह्नित करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था.
 
SARANDA MAMLA

Jharkhand Desk: सारंडा वन क्षेत्र से जुड़े माइनिंग और सेंक्चुअरी से संबंधित मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एक दिन का और समय मांगा है. सरकार ने कोर्ट को बताया कि शपथ पत्र तैयार है, लेकिन उसे दायर करने के लिए थोड़ा अतिरिक्त समय चाहिए. यह सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ में हुई. राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील पेश करते हुए कहा कि यदि संभव हो, तो मामले की सुनवाई शुक्रवार को की जाए.

सुनवाई के दौरान SAIL (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) की ओर से भी कुछ मुद्दे उठाए गए। कंपनी के वकील ने बताया कि माइनिंग से जुड़ी कुछ व्यावहारिक समस्याएं हैं. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “SAIL को तो पहले ही सुरक्षा दी जा चुकी है।” अब इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होने की संभावना है.

इससे पहले 8 अक्टूबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 57,519.41 हेक्टेयर के बदले 31,468.25 हेक्टेयर क्षेत्र को सेंक्चुअरी (संरक्षित क्षेत्र) घोषित करने की अनुमति दी थी. साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि SAIL और अन्य वैध खनन लीजधारियों को सेंक्चुअरी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर रखा जाएगा. कोर्ट ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर इस निर्णय पर शपथ पत्र (Affidavit) दायर करने का निर्देश दिया था.

सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देशों के अनुरूप क्षेत्र को सेंक्चुअरी घोषित करना चाहती है, लेकिन सेंक्चुअरी से बाहर 1 किलोमीटर के दायरे में खनन कार्य प्रतिबंधित रहता है. इस वजह से SAIL और अन्य वैध लीज प्रभावित हो सकते हैं. इसलिए सरकार ने कोर्ट से क्षेत्र चिह्नित करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था.