झारखंड में पेसा नियमावली को आदिवासी संगठनों ने सराहते हुए किया स्वागत, कहा- बाहरियों को लाभ देने की कोशिशों का होगा विरोध
Ranchi: झारखंड में पेसा एक्ट (पंचायत उपबंध, अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम) के तहत बहुप्रतीक्षित नियमावली को मंगलवार को आयोजित राज्य कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिल गई. हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पंचायती राज विभाग के प्रस्ताव को मामूली संशोधनों के साथ स्वीकृति दी गई. इस नियमावली के लागू होने से अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. आदिवासी संगठन ने इसे लेकर खुशी जताई है, वहीं उनकी कुछ आशंकाएं भी हैं.

पेसा नियमावली को लेकर राज्यभर से लगातार प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. इसी क्रम में केंद्रीय सरना समिति की ओर से गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर इस नियमावली के पारित होने पर राज्य सरकार को शुभकामनाएं दी गईं. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि पेसा कानून कोई नया कानून नहीं है, बल्कि यह वर्षों से लंबित था. देर से ही सही, लेकिन झारखंड में अब इस कानून के तहत नियमावली बनाकर लागू किया गया है, जो स्वागत योग्य कदम है.
हालांकि इस दौरान केंद्रीय सरना समिति ने कुछ गंभीर सवाल भी खड़े किए. फूलचंद तिर्की ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर इस नियमावली में मिशनरियों या किसी विशेष वर्ग के हित में कोई संशोधन किया गया है, तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पेसा एक्ट का मूल उद्देश्य आदिवासी समाज की परंपरा, संस्कृति और ग्राम सभा की सर्वोच्चता को सुरक्षित करना है, न कि किसी बाहरी प्रभाव को बढ़ावा देना.
सरना समिति का कहना है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नियमावली पूरी तरह से संविधान की भावना और पेसा कानून के मूल प्रावधानों के अनुरूप हो. किसी भी तरह का संशोधन, जो आदिवासी समाज के अधिकारों को कमजोर करता हो, स्वीकार नहीं किया जाएगा. पेसा एक्ट की नियमावली को कैबिनेट से मंजूरी मिलना झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक घटनाक्रम माना जा रहा है. अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इसके क्रियान्वयन में सरकार कितनी गंभीरता और पारदर्शिता दिखाती है.







