मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने केंद्र सरकार को दो टूक में कहा, केंद्र सरकार के मंत्री झारखंड को सहयोग नहीं करते...
Jharkhand Assembly Winter Session: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने केंद्र सरकार द्वारा अलग अलग मद में राशि निर्गत नहीं करने के सत्ता पक्ष के आरोपों पर सवाल खड़े किए हैं. साथ ही सुझाव भी दिए. उन्होंने 15वें वित्त आयोग की बकाया राशि का मामला उठाया. इसपर ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने दो टूक कहा कि केंद्र सरकार के मंत्री झारखंड को सहयोग नहीं करते हैं. सारी शर्तें पूरी करने के बाद भी वित्तीय वर्ष 2024-25 के 1,385 करोड़ राशि केंद्र सरकार नहीं दे रही है.
दरअसल, नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने पिछले दो बार से 15वें वित्त का पैसा नहीं मिलने का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि मोटा-मोटी 2600 करोड़ रु केंद्र से इस मद में नहीं मिला है. अब सवाल है कि क्यों नहीं मिला है. इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को कई बार पत्र लिखा है. ग्रामीण विकास मंत्री को अपने अफसरों को लेकर भारत सरकार के मंत्रालय में ले जाना चाहिए. उससे पहले भारत सरकार की अहर्ताओं का पालन करना जरुरी है.
इसपर ग्रामीण विकास विभाग की मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं. दरअसल, राज्य सरकार की तरफ से कोई कमी नहीं है. पंचायती राज मंत्रालय की सारी शर्तें पूरी की जा चुकी है. दूरभाष पर तो फंड जारी करने का भरोसा तक मिल चुका था. फिर भी आजतक राशि नहीं मिली है.
उन्होंने कहा कि पंचायती राज मंत्रालय की ओर से वित्तीय वर्ष 2024-25 में 15वें वित्त आयोग की राशि करीब 2,700 करोड़ प्राप्त करने के लिए कुछ शर्तें रखी थी. जिसके तहत 2023-24 की हस्तांतरित राशि का जीटीसी (ग्रांट ट्रांसफर सर्टिफिकेट) पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार को भेजना था. यह 2024-25 के लिए था. इसके अलावा 2024-25 का अनुदान प्राप्त करने के लिए स्टेट फाइनांस कमीशन का गठन किया जाना था. इस मद की राशि पंचायतों को हस्तांतरित करते हुए जीटीसी उपलब्ध कराना था. इन चारों शर्तों को 20-05-2025 को पूरा कर लिया गया था.
उन्होंने कहा कि शर्तें पूरी करने के बाद भी मंत्रालय ने नई शर्तें लगा दी गई. 14वें वित्त आयोग मद की शेष राशि को 15वें वित्त आयोग मद की प्राप्त होने वाली राशि से 10 प्रतिशत से कम होने की शर्त रखी गई. जिसका कोई औचित्य नहीं था. क्योंकि यह राशि पंचायतों के खाते में थी.
झारखंड सरकार ने अनुरोध कर ई-ग्राम स्वराज पोर्टल को खुलवाया और पुराने लायबिलिटी का विकल्प खुलवाते हुए राशि को 10 प्रतिशत से नीचे लाने का भी काम पूरा किया. उसके बाद पंचायती राज मंत्रालय से 15वें वित्त की राशि की दोबारा मांग की गई. इसको लेकर पंचायती राज मंत्रालय ने 24.11.2025 को पत्र के जरिए सूचित किया कि झारखंड सरकार द्वारा दी गई सूद की राशि ई-ग्राम स्वराज पोर्टल के रिवर्स रिसिट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट में दिखाई नहीं दे रहा है. जबकि इसके लिए पोर्टल में कोई ऑप्शन ही नहीं था.
खास बात है कि इसके बाद राज्य सरकार ने 222 पन्नों का पंचायतों को हस्तांतरित राशि का पूरा ब्योरा मंत्रालय को उपलब्ध कराया. तब दूरभाष पर बताया गया कि आपने सारी शर्ते पूरी कर ली है और बहुत जल्द 15वें वित्त की राशि राज्य को उपलब्ध करा दी जाएगी. लेकिन अबतक राशि नहीं मिली है और ना राशि मिलने की कोई सूचना है.
इस मामले में 10.09-2025, 26-10-2025, 14-11-2025 और 25-11-2025 को भी झारखंड सरकार ने पत्र भी लिखा. साथ ही वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 1,385 करोड़ रु विमुक्त करने की मांग की गई. लेकिन मंत्रालय की ओर से अबतक राशि नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि स्टेट फाइनांस कमीशन की रिपोर्ट 29 मार्च को बजट सत्र के दौरान सदन पटल पर रखी गई थी.
मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि उन्होंने खुद सचिव के साथ 4 सितंबर को मंत्रालय के सचिव वीरेंद्र भारद्वाज से मुलाकात की. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. ऐसे में फिर सहयोग की बात कैसे की जा रही है. अफसोस है कि नेता प्रतिपक्ष को सही जानकारी नहीं दी गई है. राज्य सरकार ने 15वें वित्त की राशि के लिए सारी अहर्ताएं पूरी की है.







