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झारखंड में डीजीपी नियुक्ति पर यूपीएससी ने उठाये सवाल, राज्य सरकार से मांगा जवाब

झारखंड में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के नियमित पदस्थापन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने राज्य सरकार द्वारा भेजे गए आईपीएस अधिकारियों के पैनल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासतौर पर अजय कुमार सिंह को समय से पहले डीजीपी पद से हटाकर अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाए जाने पर आयोग ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।

यूपीएससी ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार से पूछा है कि आखिरकार किन परिस्थितियों में 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह को उनके दो साल के कार्यकाल से पहले ही डीजीपी पद से हटाया गया? सर्वोच्च न्यायालय के 'प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ' मामले में दिए गए आदेश में डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो साल निर्धारित किया गया था। इसके बावजूद अजय कुमार सिंह को डेढ़ साल में ही पद से हटाकर 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी क्यों बनाया गया?

यूपीएससी ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
राज्य सरकार ने झारखंड में नियमित डीजीपी नियुक्त करने के लिए यूपीएससी को चार अधिकारियों का पैनल भेजा था, जिसमें अजय कुमार सिंह, अनिल पाल्टा, अनुराग गुप्ता और प्रशांत सिंह के नाम शामिल थे। अजय कुमार सिंह को हटाए जाने के बावजूद, उन्हें फिर से पैनल में शामिल किया गया, जिस पर यूपीएससी ने सवाल उठाया है और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन पर जवाब मांगा है।

अदालत में चल रहा अवमानना वाद
डीजीपी पद पर प्रभारी नियुक्ति के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में भी अवमानना वाद चल रहा है। अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव एल. खियांग्ते और प्रभारी डीजीपी अनुराग गुप्ता को इस मुद्दे पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस पूरे मामले पर अदालत में विचार-विमर्श जारी है और यूपीएससी के नोटिस पर राज्य सरकार के जवाब के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी।