Movie prime

क्या है मुख्यमंत्री सारथी योजना? आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के युवाओं के लिए हाई-टेक कौशल से जोड़ने की एक नई उम्मीद

Jharkhand Desk: मुख्यमंत्री सारथी योजना राज्य सरकार का एक विशेष मिशन है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण पृष्ठभूमि के 10वीं और 12वीं पास युवाओं को रोजगारोन्मुख तकनीकी कौशल प्रदान करना है. यह योजना खासकर उन छात्रों को मौका देती है जिन्हें उच्च तकनीकी शिक्षा तक पहुंचना आर्थिक या भौगोलिक कारणों से मुश्किल होता है.
 
JHARKHAND NEWS

Jharkhand Desk: बदलते दौर में तकनीक जहां देश के विकास का आधार बन चुकी है, वहीं झारखंड जैसे उभरते राज्य में भी युवाओं को हाई-टेक कौशल से जोड़ने की पहल तेजी पकड़ रही है. इसी दिशा में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सारथी योजना ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के युवाओं के लिए एक नई उम्मीद के रूप में सामने आई है. इस योजना के तहत न केवल ड्रोन और इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माण जैसी आधुनिक तकनीकें सिखाई जा रही हैं, बल्कि विद्यार्थियों को दूरबीन (टेलिस्कोप) बनाने, रोबोटिक्स, सोलर तकनीक और हेल्थ केयर असिस्टेंस जैसे क्षेत्रों में भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह पहली बार है जब झारखंड में किसी भी सरकारी पहल के तहत इतने व्यापक और उन्नत तकनीकी मॉड्यूल्स ग्रामीण छात्रों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं, वह भी पूरी तरह निशुल्क. 

क्या है मुख्यमंत्री सारथी योजना?

मुख्यमंत्री सारथी योजना राज्य सरकार का एक विशेष मिशन है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण पृष्ठभूमि के 10वीं और 12वीं पास युवाओं को रोजगारोन्मुख तकनीकी कौशल प्रदान करना है. यह योजना खासकर उन छात्रों को मौका देती है जिन्हें उच्च तकनीकी शिक्षा तक पहुंचना आर्थिक या भौगोलिक कारणों से मुश्किल होता है. राज्य सरकार इसे तकनीक-आधारित रोजगार क्रांति की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देख रही है.

कहां-कहां चल रही है यह शिक्षा?

राज्यभर में कई कौशल केंद्र इस योजना का हिस्सा हैं, लेकिन सबसे बड़ा और सबसे उन्नत केंद्र है रांची के कांके स्थित दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र, जो वर्तमान में योजना की रीढ़ साबित हो रहा है. यहां लगभग 900 युवक-युवतियां अलग-अलग ट्रेडों में रोजाना प्रशिक्षण लेते हैं. खास बात यह है कि यह प्रशिक्षण केंद्र एकमात्र केंद्र है जहां ड्रोन बनाने ड्रोन की तकनीकी और ड्रोन उड़ने की शिक्षा दी जा रही है राज्य का यह एकमात्र प्रशिक्षण केंद्र है.

इस केंद्र को तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में मॉडल इंस्टीट्यूट के रूप में विकसित किया जा रहा है. यहीं पर ड्रोन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक व्हीकल सर्विसिंग और जेनरल ड्यूटी असिस्टेंट हेल्थ केयर जैसे प्रमुख कोर्स संचालित होते हैं. दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां प्रशिक्षु वैश्विक स्तर की तकनीक को न केवल समझते हैं, बल्कि स्वयं बनाना, संचालित करना और मरम्मत करना भी सीखते हैं.

ड्रोन का ढांचा तैयार करना: युवा विभिन्न प्रकार के ड्रोन फ्रेम (क्वाडकॉप्टर, हेक्साकॉप्टर, फिक्स्ड-विंग) को डिजाइन करना, 3D प्रिंटिंग के माध्यम से प्रोटोटाइप बनाना और कार्बन फाइबर, एल्यूमिनियम तथा प्लास्टिक जैसी सामग्रियों का सही चयन एवं असेंबली करना सीखते हैं.

इलेक्ट्रॉनिक एवं हार्डवेयर असेंबलिंग: ब्रशलेस मोटर्स, ESC, फ्लाइट कंट्रोलर, बैटरी, प्रोपेलर, GPS मॉड्यूल, कैमरा जिम्बल और FPV सिस्टम की वायरिंग, सोल्डरिंग और सही कनेक्शन करना सिखाया जाता है ताकि पूरा हार्डवेयर एकीकृत रूप से कार्य करे.

फ्लाइंग कंट्रोल: Pixhawk, Betaflight, ArduPilot जैसे ओपन-सोर्स फ्लाइट कंट्रोलर को कॉन्फिगर करना, PID ट्यूनिंग, फेल-सेफ सेटिंग्स, ऑटोनॉमस फ्लाइट मोड (Loiter, RTL, Mission Planner) तथा मैन्युअल फ्लाइंग स्किल्स का गहन प्रशिक्षण दिया जाता है.

मरम्मत और मेंटेनेंस: क्रैश के बाद ड्रोन का डायग्नोसिस, मोटर-प्रोपेलर रिप्लेसमेंट, ESC कैलिब्रेशन, बैटरी केयर, फर्मवेयर अपडेट और नियमित सर्विसिंग की पूरी तकनीक सिखाई जाती है ताकि ड्रोन लंबे समय तक बेहतरीन प्रदर्शन दे सके.

फसल सर्वेक्षण के लिए ड्रोन का उपयोग: युवाओं को मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरे वाले एग्रीकल्चर ड्रोन उड़ाना, NDVI मैपिंग, फसल स्वास्थ्य विश्लेषण, कीट-रोग पहचान, पानी की कमी का आकलन और सटीक खाद-कीटनाशक छिड़काव की तकनीक सिखाई जाती है, जिससे खेती में लागत कम हो और पैदावार बढ़े.

आधुनिक सुरक्षा व्यवस्था में ड्रोन अब अपरिहार्य हो गए हैं. प्रशिक्षण के दौरान युवा थर्मल इमेजिंग, नाइट विजन और हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरों से लैस ड्रोन को सीमा सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन, आपदा राहत कार्यों और औद्योगिक परिसरों की निगरानी के लिए उपयोग करना सीखते हैं. वे रियल-टाइम वीडियो फीड को कमांड सेंटर तक पहुंचाना, स्वचालित पैट्रोलिंग रूट सेट करना, संदिग्ध गतिविधि की पहचान करना और आपात स्थिति में त्वरित रिस्पॉन्स के लिए ड्रोन तैनात करना सिखते हैं. वन्यजीव संरक्षण, अवैध खनन रोकथाम, तस्करी पर निगरानी और अग्निशमन कार्यों में भी ड्रोन की प्रभावी भूमिका को व्यावहारिक प्रशिक्षण के माध्यम से समझाया जाता है, जिससे युवा देश की आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें.

क्या मानते हैं विषेषज्ञ

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में कृषि, सुरक्षा, ट्रैफिक मैनेजमेंट और आपदा प्रबंधन में ड्रोन की भूमिका तेजी से बढ़ने वाली है. ऐसे में ग्रामीण युवाओं का इस तकनीक में दक्ष होना रोजगार के नए द्वार खोल रहा है. कौशल केंद्र में दूरबीन (टेलिस्कोप) बनाने की शिक्षा राज्य में एक अनूठी और प्रथम पहल है, जो युवाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीकी कौशल को एक साथ विकसित करती है. यहां छात्र सबसे पहले विभिन्न प्रकार के लेंस (ऑब्जेक्टिव एवं आईपीस) का डिजाइन, फोकल लेंथ की गणना, अब्बे संख्या (किसी पदार्थ के फैलाव का एक अनुमानित माप) और ऑप्टिकल एबरेशन को कम करने की तकनीक सीखते हैं. इसके बाद वे रिफ्रेक्टर तथा रिफ्लेक्टर टेलिस्कोप के ऑप्टिकल सेटअप को सटीकता से अलाइन करना, मिरर कोटिंग की बारीकियां और प्रकाश संग्रहण क्षमता को बढ़ाने के तरीके समझते हैं.

कौशल केंद्र में बने फोर व्हीलर सर्विस स्टेशन में युवा फोर व्हीलर सर्विस असिस्टेंट और इलेक्ट्रिक व्हीकल असेंबली ऑपरेटर का प्रशिक्षण लेते हैं. यहां खासकर ई-रिक्शा और अन्य इलेक्ट्रिक व्हीकल का निर्माण, मोटर फिटिंग, बैटरी सेटअप, वायरिंग और टेस्टिंग जैसी कौशल सिखाई जाती है. ई-व्हीकल बाजार की तेजी को देखते हुए प्रशिक्षुओं को यह भरोसा है कि इस क्षेत्र में रोजगार की उपलब्धता लगातार बढ़ेगी. इसी कारण यह कोर्स युवाओं के बीच सबसे लोकप्रिय मॉड्यूल में से एक बन चुका है.

कौशल केंद्र का एक और विशेष सेक्टर है—GDA (General Duty Assistance) हेल्थ केयर. इसमें 4–5 माह के इस कोर्स में युवाओं को प्रशिक्षित किया जाता है. इसमें प्राथमिक चिकित्सा और नर्सिंग की मजबूत नींव प्रदान की जाती है. छात्र यहां प्रारंभिक उपचार के साथ-साथ रक्तचाप, नब्ज, ऑक्सीजन सैचुरेशन मापना, घाव की ड्रेसिंग, इंजेक्शन लगाना तथा आपातकालीन स्थितियों में त्वरित निर्णय लेना सीखते हैं. मरीजों की देखभाल में बिस्तर बनाना, रोगी को नहलाना-खाना खिलाना, दवाई समय पर देना, बेडसोर रोकथाम तथा मानसिक सहारा देना जैसे व्यावहारिक कौशल सिखाए जाते हैं.

Sarathi Scheme in Jharkhand

प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण में CPR, फ्रैक्चर में स्प्लिंटिंग, जलने-चोट पर तुरंत कार्रवाई, जहर निगलने पर प्रबंधन तथा दौरे आने पर सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं. अस्पताल में मरीज प्रबंधन के तहत एडमिशन-डिस्चार्ज प्रक्रिया, मेडिकल रिकॉर्ड रखना, डॉक्टर राउंड के दौरान सहायता तथा OT-ICU में बेसिक मदद करना पढ़ाया जाता है. स्वास्थ्य क्षेत्र में नर्सिंग स्टाफ की लगातार बढ़ती भारी मांग को देखते हुए यह कोर्स ग्रामीण युवाओं के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों, क्लिनिक, नर्सिंग होम के साथ होम-केयर सेवाओं में तुरंत नौकरी की मजबूत और सम्मानजनक संभावना उपलब्ध कराता है.

Sarathi Scheme in Jharkhand

सिर्फ ट्रेनिंग नहीं, रोजगार की गारंटी भी

मुख्यमंत्री सारथी योजना की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह केवल कौशल प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि युवाओं को सीधे रोजगार से जोड़ना इसका मूल लक्ष्य है. योजना के तहत चयनित ग्रामीण छात्र-छात्राओं को पूरी तरह निःशुल्क आवास और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है, ताकि आर्थिक बोझ के बिना वे पूरे मन से पढ़ाई और प्रशिक्षण पर ध्यान दे सकें.

Sarathi Scheme in Jharkhand

कोर्स सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद केंद्र का सक्रिय प्लेसमेंट सेल निजी कंपनियों, उद्योगों तथा सरकारी विभागों के साथ समन्वय करके छात्रों को उपयुक्त नौकरी दिलाने में सहायता करता है. यदि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद भी तीन महीने तक नौकरी नहीं मिलती, तो सरकार द्वारा रोजगार भत्ता प्रदान किया जाता है, जिससे युवा आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें और आगे की तलाश जारी रख सकें. सरकार का दावा है कि इस उनकी योजना से ग्रामीण युवाओं में आत्मविश्वास का नया संचार हुआ है, उनकी नजरें अब गांव से बाहर निकलकर ड्रोन टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में सम्मानजनक करियर बनाने की ओर उठ रही हैं, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित और स्वावलंबी बन रहा है.

Sarathi Scheme in Jharkhand

अब तक मिला कितना रोजगार? क्या हैं उपलब्धियां

मुख्यमंत्री सारथी योजना के आंकड़े बताते हैं कि यह पहल केवल कागजों में नहीं, बल्कि जमीन पर भी मजबूत परिणाम दे रही है. 35000 युवक-युवतियों ने दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र से अब तक प्रशिक्षण प्राप्त किया है. इनमें से 20 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार मिला है. प्लेसमेंट मुंबई, बेंगलुरु, तमिलनाडु और रांची सहित कई शहरों में हुए हैं.

Sarathi Scheme in Jharkhand

युवाओं में बढ़ रही है तकनीकी शिक्षा को लेकर उत्सुकता

कौशल केंद्र में प्रशिक्षण लेने वाले कई युवाओं का मानना है कि इस कार्यक्रम ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी है. कांके के एक प्रशिक्षु का कहना है, "पहले हमें पता नहीं था कि ड्रोन या ई-व्हीकल बनाना भी सीखा जा सकता है. यहां आने के बाद समझ आया कि तकनीक गांव के बच्चों के लिए भी किसी बड़ी दीवार की तरह नहीं है. हमने यहां जिंदगी के नए दरवाजे खुलते देखे हैं." दूसरी ओर, प्रशिक्षक बताते हैं कि ग्रामीण छात्रों में तकनीकी विषयों के प्रति गहरी रुचि देखने को मिल रही है. विशेष रूप से लड़कियां ड्रोन टेक्नोलॉजी और हेल्थ केयर में तेजी से आगे बढ़ रही हैं.

राज्य सरकार का लक्ष्य, हर ब्लॉक में तकनीकी प्रशिक्षण

मुख्यमंत्री सारथी योजना को लेकर सरकार का स्पष्ट विजन है कि यह सुविधा राज्य के हर जिले और हर ब्लॉक तक पहुंचे, ताकि सबसे दूरस्थ गांव का युवा भी आधुनिक कौशल से वंचित न रहे. भविष्य में इस योजना के विस्तार के तहत प्रत्येक जिले और प्रमुख ब्लॉकों में अत्याधुनिक ड्रोन लैब स्थापित किए जाएंगे, जहां युवा ड्रोन असेंबलिंग से लेकर एग्रीकल्चर व सर्विलांस एप्लीकेशन तक सीख सकें. साथ ही, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सर्विस वर्कशॉप शुरू की जाएंगी, जिसमें बैटरी मैनेजमेंट, मोटर रिपेयर और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की ट्रेनिंग दी जाएगी.

Sarathi Scheme in Jharkhand

हेल्थकेयर ट्रेनिंग सेंटर हर ब्लॉक स्तर पर खोले जाएंगे, ताकि नर्सिंग असिस्टेंट, पैरामेडिकल स्टाफ और इमरजेंसी केयर की ट्रेनिंग गांव के पास ही मिले. इसके अतिरिक्त अत्याधुनिक रोबोटिक्स लैब भी स्थापित की जाएंगी, जहां युवा इंडस्ट्रियल रोबोट प्रोग्रामिंग, ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बुनियादी समझ हासिल कर सकें. इस तरह सरकार का लक्ष्य है कि ग्रामीण युवा विश्व स्तरीय तकनीक से जुड़कर न केवल रोजगार प्राप्त करें, बल्कि आने वाले भारत के तकनीकी क्रांति का नेतृत्व भी करें. सरकार का मानना है कि रोजगार और तकनीक के बीच की दूरी जितनी कम होगी, राज्य उतनी ही तेजी से विकास की राह पकड़ सकेगा.

"मुख्यमंत्री सारथी योजना मिल का पत्थर साबित हो रहा है. झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को नई तकनीकी से प्रशिक्षित किया जा रहा है और उन्हें रोजगार भी मुहैया कराया जा रहा है. यह प्रयास निरंतर चल रहा है और इसका फायदा ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को मिल रहा है."- जीतेन्द्र कुमार सिंह, सचिव, झारखंड कौशल विभाग

झारखंड का तकनीकी भविष्य, युवाओं के हाथों में

जिस गति से ग्रामीण युवाओं को तकनीकी शिक्षा मिल रही है, उससे स्पष्ट है कि झारखंड अब केवल पारंपरिक रोजगार पर निर्भर नहीं रहेगा. ड्रोन, ई-व्हीकल, हेल्थ केयर और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में दक्षता हासिल करने वाले युवा आने वाले समय में न केवल राज्य, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में रोजगार की मजबूत पहचान बना सकते हैं.

Sarathi Scheme in Jharkhand

मुख्यमंत्री सारथी योजना की सफलता यह बताती है कि अवसर मिले तो ग्रामीण क्षेत्र के युवा भी किसी से पीछे नहीं. यह योजना तकनीक की दुनिया में झारखंड की नई उड़ान है और इस उड़ान की कमान अब युवाओं के हाथों में है.