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इतिहास रचने को है भारत तैयार, Chandrayaan-2 का काउंटडाउन शुरू, जानें क्यों खास है ISRO का ये मिशन?

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम अब मिशन 2.0 मोड पर है, जिसमें मानव अंतरिक्ष मिशन, अंतर्ग्रहीय मिशन, अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना और यहा तक कि अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में शामिल होना की कोशिश करना भी प्रासंगिक है.अपने दूसरे मिशन मून के साथ भारत अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगाने को तैयार है. आंध्र प्रदेश के श्री… Read More »इतिहास रचने को है भारत तैयार, Chandrayaan-2 का काउंटडाउन शुरू, जानें क्यों खास है ISRO का ये मिशन?
 

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम अब मिशन 2.0 मोड पर है, जिसमें मानव अंतरिक्ष मिशन, अंतर्ग्रहीय मिशन, अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना और यहा तक कि अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में शामिल होना की कोशिश करना भी प्रासंगिक है.अपने दूसरे मिशन मून के साथ भारत अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगाने को तैयार है. आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर चंद्रयान-2 लॉन्च होगा लॉन्च के 52 दिनों के बाद चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरेगा. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) का यह बेहद महत्वाकांक्षी मिशन है.

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यूनाइटेड नेशंस फॉर आउटर स्पेस अफेयर्स (UNOOSA) के अनुसार 1957 में पहले सैटेलाइट स्पूतनिक के लॉन्च के बाद से 2018 तक पृथ्वी के चारों तरफ कुल 8,378 उपग्रह भेजे गए. अभी 4,994 सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में घूम रहे हैं. जबकि, इनमें सिर्फ 1957 उपग्रह काम कर रहे हैं. यानी 40 फीसदी से कम उपग्रह ही काम कर रहे हैं. इनमें से सिर्फ 7 सैटेलाइट ऐसे हैं जो दूसरे ग्रहों के चारों तरफ चक्कर लगा रहे हैं. जबकि, 2 छोटे उपग्रहों को भी लॉन्च किया गया है.

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पर क्या आपको पता है कि इसरो ने अब तक कितने सैटेलाइट छोड़े हैं. इनमें कितने देसी और कितने विदेशी हैं. कितने स्टूडेंट्स ने बनाए हैं और कितने रॉकेट सफल हुए हैं. किस मिशन में असफलता मिली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अब तक कितने सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़े हैं और वे कितने प्रकार के हैं

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इसरो ने अब तक अंतरिक्ष में कुल 370 उपग्रह छोड़े हैं. इनमें 101 देसी और 269 विदेशी सैटेलाइट हैं. मून मिशन चंद्रयान-2 अगर सफल होता है इनकी संख्या बढ़कर 371 हो जाएगी. इसरो ने देश के लिए कुल 101 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं. जिनमें संचार, आपदा प्रबंधन, इंटरनेट, रक्षा, मौसम, शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों को सेवाएं देने वाले उपग्रह हैं.

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हम आपको बताते है,चंद्रयान-2 के लॉन्चिंग से लेकर चांद की सतह पर उतरने तक की पूरी प्रक्रिया के बारे में.
सोमवार तड़के 2:51 बजे चंद्रयान-2 को भारत के सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV MK-3 से लॉन्च किया जाएगा.लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा में पहुंचेगा.16 दिनों तक यह पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चांद की तरफ बढ़ेगा. इस दौरान चंद्रयान की अधिकतम गति 10 किलोमीटर/प्रति सेकंड और न्यूनतम गति 3 किलोमीटर/प्रति घंटे होगी.16 दिनों के बाद चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलेगा.इस दौरान चंद्रयान-2 से रॉकेट अलग हो जाएगा. 5 दिनों बाद चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंचेगा. इस दौरान उसकी गति 10 किलोमीटर प्रति सेकंड और 4 किलोमीटर प्रति सेंकंड रहेगी.

चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान चंद्रमा के चारो और गोल-गोल चक्कर लगाते हुए उसकी सतह की ओर बढ़ेगा.चंद्रमा की कक्षा में 27 दिनों तक चक्कर लगाते हुए चंद्रयान उसकी सतह के नजदीक पहुंचेगा। इस दौरान उसकी अधिकतम गति 10 किलोमीटर/प्रति सेकंड और न्यूनतम स्पीड 1 किलोमीटर/सेकंड रहेगा.

इतिहास रचने को है भारत तैयार, Chandrayaan-2 का काउंटडाउन शुरू, जानें  क्यों खास है ISRO का ये मिशन?

चांद की सतह के नजदीक पहुंचने के बाद चंद्रयान चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरेगा.लेकिन इस प्रक्रिया में 4 दिन लगेंगे. चांद की सतह के नजदीक पहुंचने पर लैंडर (विक्रम) अपनी कक्षा बदलेगा.फिर वह सतह की उस जगह को स्कैन करेगा जहां उसे उतरना है। लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और आखिर में चांद की सतह पर उतर जाएगा.

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इस तरह अलग-अलग चरणों के तहत लॉन्च के 52 दिनों के बाद चंद्रयान चांद की सतह पर पहुंच जाएगा. चांद की सतह पर पहुंचने के बाद लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) 14 दिनों तक ऐक्टिव रहेंगे. रोवर इस दौरान 1 सेंटीमीटर/सेकंड की गति से चांद की सतह पर चलेगा और उसके तत्वों की स्टडी करेगा व तस्वीरें भेजेगा. वह वहां 14 दिनों में कुल 500 मीटर कवर करेगा.दूसरी तरफ, ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर उसकी परिक्रमा करता रहेगा.ऑर्बिटर वहां 1 साल तक ऐक्टिव रहेगा.