कहां होते हैं ऐसे लोग, जो अपना घर छोड़कर कोरोना मरीजों के परिजनों को देते हैं, ये हैं पटना के वो महान शख्स
इस कोरोना काल में जहां अपने सगे-रिश्तेदार सब साथ छोड़ दे रहे हैं, वहीं, पटना के रहने वाले रमेश मिश्रा ने अपना घर कोविड के मरीजों के नाम कर दिया. वाकई, ये सुनकर विश्वास नहीं होता लेकिन ये सच्चाई है. रमेश ने दूर-दराज से आने वाले मरीजों के परिजनों के लिए अपना पूरा फ्लैट दे दिया.
रमेश के मुताबिक जो मरीज दूर के जिले से आते हैं और उनके साथ उनके परिजन रहते हैं तो उन्हें तकलीफ होती है. ऐसे में उन्हें रहने-खाने-पीने की दिक्कत होती है. रमेश ने अपने तीन कमरे के फ्लैट को कोरोना मरीजों के परिजनों को दे दिया, जहां हर सुविधा है. रहने, खाने, मनोरंजन सबकी व्यवस्था है. हर रोज सुबह कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक दोनों वक्त का भोजन बनवाते हैं और एक बार में ही मरीजों और उनके परिजनों को दे आते हैं.
पेशे से सरकारी मिडिल स्कूल के शिक्षक रमेश मिश्रा पिछले साल कोरोना काल से अपने खर्चे पर मरीजों की सेवा कर रहे हैं, लेकिन इस साल इन्होंने अपने दायरे को बढ़ा लिया है. 30 ऑक्सीजन सिलेंडर खुद खरीद कर कोरोना मरीजों को दिए हुए हैं. इसके अलावा जिन मरीजों को दवा खरीदनी होती है, उसे ये 500 रुपए तक की मदद भी करते हैं. दवा के लिए रमेश ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करते हैं.
रमेश मिश्रा पिछले साल से ही भोजन बांटने और लोगों की मदद करने का काम कर रहे हैं. लेकिन, जब इन्हें लगा कि सबसे ज्यादा समस्या कोरोना मरीजों के परिजनों को होती है तो उन्होंने अपना फ्लैट दे दिया और अपने पुश्तैनी आवास पर पूरा परिवार रहने चले गए. पटना के ही J/103, PC कॉलोनी, कंकड़बाग का फ्लैट, जिसमें TV, फ्रिज, किचन की पूरी व्यवस्था है. इस फ्लैट में कोरोना मरीज के परिजन रहते हैं. जिन परिजनों को 10-12 दिन इलाज के दौरान रहना होता है, उसकी पूरी व्यवस्था रमेश करते हैं.
रमेश मिश्रा के इस काम में उनका पूरा परिवार साथ देता है. सबके काम बंटे हुए हैं. भाई सुरेश मिश्रा भोजन के लिए कच्चे सामान की व्यवस्था करते हैं. पत्नी साक्षी और मां विजयलक्ष्मी भोजन बनाती हैं. लॉकडाउन में ज्यादा भोजन बनाना होता है तो रोटी होटल से बनवाते हैं और बाकी इनके घर में सभी मिलकर पैकेट तैयार करते हैं. रमेश मिश्रा बने हुए भोजन के पैकेट को बांटते हैं. हालांकि, ये पूरा परिवार खामोशी से ये सेवा कर रहा है, कोई प्रचार प्रसार नहीं.