महंत नरेंद्र गिरि को बाघंबरी मठ में दी गई भू-समाधि
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के शव का पोस्टमार्टम पांच डॉक्टरों की टीम ने दो घंटे तक किया. शुरूआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत होने की पुष्टि हुई है. यहां से शव को संगम में स्नान के बाद मठ ले जाया गया. इससे पहले बाघंबरी मठ से संगम के लिए निकली अंतिम यात्रा में संतों और भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा। वहीं प्रयागराज में महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को समाधि दे दी गई.
आपको बता दे कि नरेंद्र गिरी का अंतिम संस्कार संत परंपरा के अनुसार किया गया. सनातन मत के अनुसार, संत परंपरा में तीन तरह से संस्कार होते हैं. इनमें दाह संस्कार, भू-समाधि और जल समाधि शामिल है. कई संतों के दिवंगत हो जाने के बाद वैदिक तरीके से उनका दाह संस्कार किया गया है. कई संतों ने जल समाधि भी ली है लेकिन नदियों में प्रदूषण आदि को ध्यान में रखते हुए अब जल समाधि का प्रचलन कम हो गया है. ऐसे में वैष्णव मत में ज्यादातर संतों को भू-समाधि देने की ही परंपरा है.
बता दे प्रयागराज स्थित मठ बाघंबरी गद्दी के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का शव सोमवार को उनके बेडरूम में पंखे से लटकता मिला. आत्महत्या बताए जा रहे इस मामले को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं. वहीं क्राइम सीन से छेड़छाड़ की खबरें भी सामने आई हैं. इतना ही नहीं महंत के कमरे से 7 पेज का सूइसाइड नोट भी बरामद हुआ है. उस सूइसाइड नोट में महंत ने लिखा, 'मैं महंत नरेंद्र गिरि वैसे तो मैं 13 सितंबर 2021 को आत्महत्या करने जा रहा था लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया. आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक-दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से मेरी फोटो लगाकर किसी लड़की या महिला से गलत काम करते हुए फोटो वायरल कर देगा. तो मैंने सोचा कहां तक सफाई दूंगा. एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा. मैं जिस पद पर हूं उसकी गरिमा है, इसलिए आत्महत्या करने जा रहा हूं.