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न्यायिक पारदर्शिता की दिशा में ऐतिहासिक कदम, सुप्रीम कोर्ट ने शुरू की अदालती मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग

न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और जनता की सीधी पहुंच को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए नियमित अदालती मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू कर दी है। यह निर्णय देश के आम नागरिकों को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को करीब से देखने का मौका देगा और न्याय प्रणाली की पारदर्शिता को बढ़ाएगा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने इस पहल को न्यायिक जवाबदेही की दिशा में एक नया अध्याय बताया। उन्होंने कहा, "यह न्यायिक पारदर्शिता का नया युग है, जिसमें देश के नागरिकों को यह जानने और समझने का अधिकार है कि सर्वोच्च न्यायालय में न्याय कैसे दिया जा रहा है।" लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से आम जनता को अदालती कार्यवाही को सीधे देखने का अवसर मिलेगा, जिससे वे कानूनी प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में संवैधानिक पीठ के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की थी, और अब इसे सभी नियमित मामलों तक विस्तारित कर दिया गया है। इनमें सिविल, आपराधिक और जनहित याचिकाओं के मामले शामिल होंगे। हालांकि, संवेदनशील मामलों और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी।

इस पहल से न केवल कानूनी साक्षरता में वृद्धि होगी, बल्कि न्यायिक प्रणाली में जनता का विश्वास भी बढ़ेगा। लाइव स्ट्रीमिंग सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट और यूट्यूब चैनल के माध्यम से सभी के लिए उपलब्ध होगी, जिससे कोई भी व्यक्ति घर बैठे कार्यवाही देख सकेगा।

कानूनी विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने इस कदम की सराहना की है। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, "यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है कि न्याय सिर्फ हो नहीं, बल्कि होते हुए भी दिखे।"

लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान अदालत की गरिमा बनाए रखने और फुटेज के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े प्रोटोकॉल लागू किए जाएंगे। नाबालिगों से जुड़े मामलों या राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर गोपनीयता की विशेष व्यवस्था जारी रहेगी।

यह फैसला 2018 के सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक निर्णय के बाद लिया गया है, जिसमें न्यायिक सुधार की दिशा में लाइव स्ट्रीमिंग की सिफारिश की गई थी। भारत अब उन कुछ देशों में शामिल हो गया है, जो अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति देते हैं।