Movie prime

'Ladies and gentlemen', May I have your attention please! 1 जनवरी से बदल रहा है ट्रेनों का टाइम-टेबल, निकलने से पहले चेक जरूर करें...

New Delhi: नए टाइम-टेबल में 12 जोड़ी नई ट्रेनें, 4 जोड़ी ट्रेनों का विस्तार, 2 ट्रेनों के टर्मिनल स्टेशनों (अंतिम स्टेशन) में बदलाव, 2 जोड़ी ट्रेनों के फेरों (फ्रीक्वेंसी) में वृद्धि और 12 ट्रेनों के नंबरों में बदलाव शामिल है. इसके साथ ही 164 ट्रेनों के लिए नए ठहराव तय किए गए हैं, जिनमें से 61 ट्रेनों के नए ठहराव 1 जनवरी से प्रभावी होंगे...
 
Indian-Railways

New Delhi: 1 जनवरी से रेल यात्रियों का सफर अधिक तेज और सुविधाजनक होने जा रहा है. दो एक्सप्रेस ट्रेनों को सुपरफास्ट में बदल दिया गया है. 89 ट्रेनों की गति बढ़ाई गई है, जिससे अलग-अलग स्टेशनों पर उनके आने-जाने के समय में बदलाव हुआ है. इसके अलावा, नए टाइम-टेबल में विभिन्न स्टेशनों पर 61 ट्रेनों के नए ठहराव (स्टॉपेज) जोड़े गए हैं, जिससे यात्रियों और स्थानीय निवासियों के लिए रेल यात्रा अधिक सुलभ हो जाएगी.

यात्रीगण ध्यान दें! रेलवे ने कई ट्रेनों का बदला समय और कई ट्रेनों को किया  कैंसिल, सफर से पहले चेक कर लें ट्रेन नंबर - Indian railways change many  train time from

एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा, कि रेलवे के संचालन के लिए नया टाइम-टेबल 1 जनवरी, 2026 को जारी किया जाएगा. इस नई समय-सारणी में नई ट्रेनों का संचालन, ट्रेनों का विस्तार, फेरों में वृद्धि, ट्रेन नंबरों में बदलाव, नए ठहराव और विभिन्न स्टेशनों पर आने-जाने के समय में बदलाव शामिल हैं. नए टाइम-टेबल की एक प्रमुख विशेषता विभिन्न स्टेशनों पर 61 ट्रेनों के लिए नए स्टॉपेज शुरू करना है.

नया टाइम-टेबल और ठहराव

नए टाइम-टेबल में 12 जोड़ी नई ट्रेनें, 4 जोड़ी ट्रेनों का विस्तार, 2 ट्रेनों के टर्मिनल स्टेशनों (अंतिम स्टेशन) में बदलाव, 2 जोड़ी ट्रेनों के फेरों (फ्रीक्वेंसी) में वृद्धि और 12 ट्रेनों के नंबरों में बदलाव शामिल है. इसके साथ ही 164 ट्रेनों के लिए नए ठहराव तय किए गए हैं, जिनमें से 61 ट्रेनों के नए ठहराव 1 जनवरी से प्रभावी होंगे.

ट्रेनों की गति बढ़ी

दो ट्रेनों को मेल/एक्सप्रेस से सुपरफास्ट श्रेणी में बदल दिया गया है. 89 ट्रेनों की गति बढ़ा दी गई है. जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न स्टेशनों पर उनके आगमन और प्रस्थान के समय में बदलाव हुए हैं. इसके अलावा, विभिन्न स्टेशनों पर 66 ट्रेनों के आगमन और प्रस्थान के समय में 30 मिनट या उससे अधिक के परिवर्तन भी शामिल किए गए हैं.

क्षमता बढ़ाने के लिए रेल नेटवर्क के विस्तार का काम

क्षमता बढ़ाने के लिए रेल नेटवर्क के विस्तार का काम बड़े स्तर पर किया गया है. पिछले 10 वर्षों के दौरान भारतीय रेलवे में लगभग 34,428 किलोमीटर नई पटरी बिछाने का काम पूरा किया गया है. रेलवे के आंकड़ों के अनुसार, 2009-14 के दौरान लगभग 7,599 किलोमीटर नई पटरी चालू की गई थी, जो औसतन 4.2 किलोमीटर प्रतिदिन थी. हालांकि, 2014-25 के बीच 34,428 किलोमीटर नई पटरियां चालू की गई हैं, जो औसतन 8.57 किलोमीटर प्रतिदिन की रफ्तार है.

नई गेज परिवर्तन और दोहरीकरण

रेलवे के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय रेलवे में अप्रैल तक कुल 35,966 किलोमीटर लंबाई की 431 रेलवे बुनियादी ढांचा परियोजनाएं (154 नई लाइनें, 33 गेज परिवर्तन और 244 दोहरीकरण) स्वीकृत की गईं, जिनकी लागत लगभग 6.75 लाख करोड़ रुपये है.

इनमें से:

  • नई लाइनें: 16,142 किलोमीटर की लंबाई में से इस साल मार्च तक 3,036 किलोमीटर चालू की जा चुकी हैं.
  • गेज परिवर्तन: 4,180 किलोमीटर में से मार्च तक 2,997 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है.
  • दोहरीकरण/मल्टीट्रैकिंग: 35,966 किलोमीटर में से इसी अवधि में 12,769 किलोमीटर चालू की जा चुकी हैं.

रेलवे बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और सुधार के तहत पटरियों और सिग्नलिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. प्राथमिक ट्रैक नवीनीकरण के दौरान आधुनिक ट्रैक संरचना का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें 60 किलोग्राम और 90 यूटीएस (UTS) क्षमता वाली रेल, इलास्टिक फास्टनिंग के साथ चौड़े और भारी प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट (PSC) स्लीपर, पीएससी स्लीपरों पर पंखे के आकार का टर्नआउट लेआउट और गर्डर पुलों पर स्टील चैनल/एच-बीम स्लीपरों का उपयोग किया जा रहा है.

इंटरलॉकिंग सिस्टम

पुरानी मैकेनिकल सिग्नलिंग की जगह अब 31 अक्टूबर तक 6656 स्टेशनों पर इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम लगा दिए गए हैं, जिससे ट्रेनों के सिग्नल और पॉइंट्स का संचालन एक ही जगह से (केंद्रीकृत) किया जा सकता है. सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए 10,098 रेलवे फाटकों (लेवल क्रॉसिंग गेट्स) पर भी इंटरलॉकिंग की सुविधा दी गई है.

ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए 'ब्लॉक प्रूविंग एक्सल काउंटर' तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह तकनीक इंसानी हस्तक्षेप के बिना खुद यह सुनिश्चित करती है कि पूरी ट्रेन स्टेशन पर पहुंच चुकी है. यह सिस्टम अब तक 6142 ब्लॉक सेक्शन्स में लगाया जा चुका है. पटरियों पर ही ट्रेनों की संख्या बढ़ाने के लिए 'ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग' को 6341 रूट किलोमीटर तक लागू कर दिया गया है.

रेलवे द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के परिणामस्वरूप, रेल नेटवर्क की गति क्षमता में काफी सुधार हुआ है. आंकड़ों के अनुसार, पूरे रेलवे नेटवर्क की गति क्षमता इस प्रकार बढ़ी है:

  • 130 किमी प्रति घंटा और उससे अधिक की गति: साल 2014 में यह क्षमता केवल 5,036 किलोमीटर ट्रैक पर थी, जो नवंबर 2025 तक बढ़कर 23,010 किलोमीटर हो गई है.
  • 110-130 किमी प्रति घंटा की गति: 2014 में यह 26,409 किलोमीटर ट्रैक पर थी, जो नवंबर 2025 तक 60,726 किलोमीटर तक पहुंच गई है.
  • 110 किमी प्रति घंटा से कम की गति: 2014 में यह 47,897 किलोमीटर ट्रैक पर थी, जो बुनियादी ढांचे में सुधार के कारण अब (नवंबर 2025 तक) घटकर केवल 21,936 किलोमीटर ट्रैक तक रह गई है.

रेलवे ने पटरियों के रखरखाव की जरूरतों का सटीक आकलन करने के लिए 'इंटीग्रेटेड ट्रैक मॉनिटरिंग सिस्टम' (ITMS) और 'ऑसिलेशन मॉनिटरिंग सिस्टम' (OMS) जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया है. रेलवे यार्डों में पटरियों की स्थिति की निरंतर रिकॉर्डिंग के लिए 'पोर्टेबल ट्रैक मेजरिंग ट्रॉली' का उपयोग किया जा रहा है. इसके साथ ही, अलग-अलग स्रोतों से मिलने वाले निरीक्षण डेटा के विश्लेषण के लिए वेब-आधारित 'ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम' इस्तेमाल किया जा रहा है.