अमित शाह के भाषण पर गरमाई लोकसभा, RJD सांसद मनोज झा बोले-“बहस का स्तर कभी इतना नीचे नहीं देखा”
National News: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लोकसभा में दिए गए तीखे भाषण के एक दिन बाद, आरजेडी सांसद मनोज झा ने गहरी निराशा जताते हुए कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि संसदीय बहस की मर्यादा इतनी गिर जाएगी। मनोज झा ने याद दिलाया कि चुनावी प्रक्रियाओं को लेकर विपक्ष ने शुरुआत में ही चुनाव आयोग से शिकायत की थी, लेकिन समाधान नहीं मिलने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा।
झा के अनुसार, “हमने चुनाव आयोग से बात की, वहां से जब कोई हल नहीं निकला तो सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। आज जो भाषा और जो माहौल सदन में दिख रहा है, वह लोकतांत्रिक विमर्श की बुनियाद को हिला देता है। इतनी गिरावट की मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।”
उनका संकेत शाह के भाषण के दौरान उपयोग हुए कुछ शब्दों की ओर था, जिन्हें असंसदीय माना जाता है।
PM मोदी ने शाह के भाषण को बताया ‘उत्कृष्ट’, कहा-“विपक्ष के झूठ का पर्दाफाश हुआ”
अमित शाह के भाषण को लेकर जहां विपक्ष ने आपत्ति जताई, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X (पूर्व ट्विटर) पर शाह की जमकर प्रशंसा की। पीएम मोदी ने कहा कि शाह ने भारत की चुनावी प्रणाली पर मजबूत तथ्यों के साथ अपनी बात रखी और विपक्ष के दावों को बेनकाब किया। प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद यह मुद्दा और अधिक राजनीतिक रंग लेता दिखा।
लोकसभा में शाह–राहुल के बीच तीखी बहस, ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर टकराव
सदन का माहौल तब अधिक तनावपूर्ण हो गया जब अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी आमने-सामने आ गए। राहुल गांधी ने बार-बार शाह को चुनौती देते हुए कहा कि वे प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए गए मुद्दों—विशेषकर मतदाता सूची अनियमितताओं पर सदन में खुली बहस करें।
शाह ने इसका जवाब देते हुए कहा,
“संसद किसी एक व्यक्ति की इच्छा से नहीं चलेगी। मैं सभी सवालों का जवाब अपने क्रम से दूंगा।”
गृह मंत्री ने मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का बचाव किया और कहा कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को “शुद्ध” करने के लिए बेहद ज़रूरी है।
साथ ही उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे जीतने पर चुनाव आयोग की तारीफ करते हैं और हारने पर उसकी आलोचना।
विपक्ष का वॉकआउट, सदन स्थगित-बहस से ज्यादा टकराव सुर्खियों में
अमित शाह के जवाब के दौरान विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया, जिसके बाद लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। पूरा दिन बहस से ज्यादा आरोप–प्रत्यारोप, तीखी नोकझोंक और राजनीतिक संदेश ही हावी रहे।
लोकसभा में यह टकराव बता रहा है कि चुनावी सुधार के मुद्दे पर सियासी संग्राम आने वाले दिनों में और उग्र हो सकता है।







