महाकुंभ 2025: 27 साल बाद मिले, लेकिन पहचाना तक नहीं... अघोरी बने गंगासागर बोले- "सिर्फ महादेव सुनता हूं!"

प्रयागराज महाकुंभ में एक भावुक कर देने वाली घटना सामने आई, जब 27 साल पहले घर छोड़कर गए गंगासागर यादव अपने परिवार से मिले, लेकिन पहचानने से इनकार कर दिया। दरअसल, गंगासागर यादव कभी भैंसों की खरीद-बिक्री का काम करते थे। लेकिन एक दिन अचानक सबकुछ छोड़कर चले गए और फिर कभी घर नहीं लौटे। परिवार ने उन्हें बहुत खोजा, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। पत्नी धनवतो देवी ने सोचा कि अब वे कभी नहीं मिलेंगे, लेकिन हाल ही में खबर मिली कि उन्हें प्रयागराज महाकुंभ में देखा गया है। यह सुनते ही उनकी पत्नी, दो बेटे और अन्य परिजन 26 जनवरी को प्रयागराज पहुंचे। काफी खोजबीन के बाद वे गंगासागर को ढूंढने में कामयाब हुए। लंबी बढ़ी हुई दाढ़ी, माथे पर कटे का निशान, टूटा हाथ और अघोरी का रूप देखकर परिवार हैरान रह गया। लेकिन उन्हें देखते ही पहचान लिया। पत्नी और बेटे भावुक होकर उन्हें घर चलने की मिन्नतें करने लगे, लेकिन गंगासागर अनजान बने रहे। उन्होंने पहचानने से साफ इनकार कर दिया।
"इस कान में सिर्फ महादेव सुनता हूं"
बेटे कमलेश ने पिता के कान में धीरे से "बाबूजी" कहकर पुकारा, लेकिन जवाब मिला— "इस कान में सिर्फ महादेव सुनता हूं, कुछ और नहीं।" यह सुनकर परिवार की आंखों में आंसू आ गए। कमलेश ने कहा कि जब उनके पिता घर छोड़कर गए थे, तब वे केवल दो साल के थे और उनका छोटा भाई मां के गर्भ में था।

महिला अघोरी पर आरोप
धनवतो देवी का कहना है कि उनके पति के साथ एक महिला अघोरी भी थी, जो खुद को गंगासागर की चेला बता रही थी। लेकिन परिवार का दावा है कि उसी महिला ने तंत्र-मंत्र कर उनके पति को अपने वश में कर लिया है। परिवार ने पुलिस और प्रशासन से मदद मांगी। मीडिया तक इस खबर को पहुंचाया। सभी ने गंगासागर को समझाने की कोशिश की, डर भी दिखाया, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए। अंत में निराश होकर परिवार को खाली हाथ लौटना पड़ा।