मिलिए! भारत के ऐसे अनोखे मंदिर से जहां केवल 9 दिन की भक्ति और 356 दिन का इंतजार, साल में सिर्फ Navratri पर खुलता है
National News: भारत मंदिरों की भूमि है, यहां हर छोटे-बड़े मंदिर की अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान है. लेकिन ओडिशा के गजपति जिले के पारलाखेमुंडी (Paralakhemundi) में एक ऐसा दुर्लभ और रहस्यमयी दुर्गा मंदिर है, जो पूरे साल बंद रहता है और सिर्फ नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान ही खुलता है. इस मंदिर को दंडु मां या दंडमारम्मा कहा जाता है और इसकी परंपरा सदियों से चली आ रही है.
वहीं अगर आप नवरात्रि पर घूमने का प्लान बनाना एक शानदार विचार है जिसके माध्यम से आप भक्ति, संस्कृति और यात्रा का एक साथ आनंद ले सकते हैं. नवरात्रि के पर्व को और भी ज्यादा स्पेशल बनाने के लिए इस बार आप उड़ीसा के पारलाखेमुंडी (Paralakhemundi) का रुख कर सकते हैं. यहां मां दुर्गा का एक ऐसा मंदिर है जो साल में केवल नौ दिनों के लिए, यानी नवरात्रि के दौरान ही खुलता है.
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के बीच डांडू मां (Dandu Maa) के नाम से इस मंदिर को जाना जाता है. नवरात्रि के दौरान यहां भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और मां डांडू से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. आइए, जानते हैं इस अनोखे दुर्गा मंदिर के बारे में और भी खास बातें जिसे जानने के बाद आप भी फटाफट से प्लान बना सकते हैं
सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर का दरवाजा साल के बाकी दिनों में बंद रहता है. आखिर क्यों? इसका कारण आज तक कोई भी निश्चित तौर पर नहीं जान पाया. लोककथाओं और परंपराओं के अनुसार, देवी दुर्गा की पूजा सिर्फ नवरात्रि में ही संभव है. इसी वजह से इस मंदिर के कपाट भी सिर्फ इसी समय खोले जाते हैं. जब नवरात्रि समाप्त होती है और मंदिर के दरवाजे बंद किए जाते हैं, तब देवी को एक नारियल चढ़ाया जाता है. यह नारियल मिट्टी के घड़े में रखा जाता है और अगले साल मंदिर खुलने तक सुरक्षित रहता है. खास बात यह है कि यह नारियल कभी सड़ता या टूटता नहीं है. नवरात्रि के समय इसे भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.
पारलाखेमुंडी क्यों है खास?
पारलाखेमुंडी 1885 में स्थापित ओडिशा की सबसे पुरानी नगरपालिकाओं में से एक है. यहां की खासियत यह है कि लोग तेलुगु और उड़िया दोनों भाषाएं बोलते हैं और इसकी सीमा आंध्र प्रदेश से लगती है. यहां बहने वाली महेंद्र तनया नदी इस क्षेत्र की खूबसूरती और भी बढ़ा देती है. यही नहीं, यह शहर ओडिशा का सांस्कृतिक केंद्र भी माना जाता है और यहां से कई महान कवि, इतिहासकार और नेता भी हुए हैं.
भक्तों की आस्था कैसी है?
नवरात्रि के समय मंदिर में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है. ओडिशा और आंध्र प्रदेश से लोग देवी के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. भक्तों का मानना है कि इन नौ दिनों में मां दंडु मां की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और देवी अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं. यह मंदिर न सिर्फ अपनी परंपरा की वजह से अनोखा है, बल्कि यहां की धार्मिक मान्यताएं भी इसे रहस्यमयी बना देती हैं. साल भर देवी को नारियल से ‘सील’ कर मंदिर को बंद कर देना और अगले साल उसी नारियल का अक्षुण्ण रहना भक्तों के लिए चमत्कार से कम नहीं है. यही वजह है कि यह मंदिर देशभर में चर्चा का विषय रहता है.







