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Smart City Mission...झारखंड, चंडीगढ़ और नागालैंड में महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सभी प्रोजेक्ट पूरे, बाकी राज्यों की क्या है स्थिति...

New Delhi: 31 मार्च 2025 को स्मार्ट सिटी मिशन का वित्तीय समापन होने के बाद, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि SCM के तहत सभी चालू परियोजनाएं दिसंबर 2025 से पहले अपनी निर्धारित समय अवधि में पूरी हो जाएं...
 
SMART CITY

New Delhi: झारखंड, चंडीगढ़ और नागालैंड देश के में ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश (UT) हैं, जिन्होंने महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी मिशन (SCM) के तहत अपने सभी प्रोजेक्ट पूरे कर लिए हैं. अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 9,425 करोड़ रुपये की लागत वाली 323 परियोजनाएं ऐसी हैं, जो इस साल दिसंबर की एक और समयसीमा चूकने जा रही हैं.

स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम): वर्तमान प्रगति, उपलब्धियां और चुनौतियां -  PWOnlyIAS

MoHUA ने जारी की एडवाइजरी

31 मार्च 2025 को स्मार्ट सिटी मिशन का वित्तीय समापन होने के बाद, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि SCM के तहत सभी चालू परियोजनाएं दिसंबर 2025 से पहले अपनी निर्धारित समय अवधि में पूरी हो जाएं.

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार

क्या कहते हैं अधिकारी

MoHUA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को ईटीवी भारत को बताया, "कई चालू परियोजनाएं हैं जो कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं. स्पेशल पर्पस व्हीकल्स (SPVs) को सलाह दी गई है कि वे सुनिश्चित करें कि SCM के तहत सभी चालू परियोजनाएं दिसंबर 2025 से पहले अपनी निर्धारित समय अवधि में पूरी हो जाएं."

किस राज्य में कितने प्रोजेक्ट पूरे हुए

चंडीगढ़ में 2,694 करोड़ रुपये के सभी 97 प्रोजेक्ट, झारखंड में 1,847 करोड़ रुपये के सभी 26 प्रोजेक्ट और नागालैंड में 689 करोड़ रुपये के सभी 40 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मिशन की शुरुआत से कुल 8,064 परियोजनाएं शुरू की गईं थीं. जिनकी लागत 1,64,811 करोड़ रुपये थी. इनमें से 7,741 परियोजनाएं (लागत 1,55,386 करोड़ रुपये) पूरी हो चुकी हैं. अधिकारी ने बताया, "राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार, 1 दिसंबर 2025 तक कुल 323 परियोजनाएं चल रही हैं, जिनकी लागत 9,425 करोड़ रुपये है."

प्रमुख राज्यों की स्थिति

  • आंध्र प्रदेश में कुल 280 स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में से 31 परियोजनाएं (लागत 850 करोड़ रुपये) चल रही हैं
  • बिहार की 152 परियोजनाओं में से कम से कम 10 परियोजनाएं (लागत 336 करोड़ रुपये) अभी भी चल रही हैं
  • छत्तीसगढ़ में 17 परियोजनाएं (लागत 342 करोड़ रुपये) की चल रही हैं
  • हरियाणा में 22 परियोजनाएं (लागत 577 करोड़ रुपये) की चल रही हैं
  • हिमाचल प्रदेश में 19 परियोजनाएं (लागत 257 करोड़ रुपये) की चल रही हैं
  • कर्नाटक में 18 परियोजनाएं (लागत 355 करोड़ रुपये) की चल रही हैं
  • मध्य प्रदेश में 14 परियोजनाएं (लागत 562 करोड़ रुपये) की चल रही हैं
  • तेलंगाना में 28 परियोजनाएं (लागत 417 करोड़ रुपये) चल रही हैं

अधिकारी ने बताया, "राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा रिपोर्ट की गई जानकारी के अनुसार, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को लागू करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिनमें कानूनी मुद्दे, विभिन्न विभागों से मंजूरी मिलने में देरी, भूमि अधिग्रहण, पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण, छोटे और मध्यम शहरों में विक्रेता और संसाधनों की उपलब्धता में चुनौतियां, कुछ शहरों में निर्णय लेने की केंद्रीकरण, एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्रों (ICCCs) की पूर्ण क्षमता का उपयोग आदि शामिल हैं."

क्या है स्मार्ट सिटी परियोजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना माने जाने वाले इस मिशन को केंद्र सरकार ने 25 जून 2015 को लॉन्च किया था. स्मार्ट सिटी मिशन (SCM) के तहत 100 शहरों का चयन दो-चरणीय चयन प्रक्रिया के माध्यम से किया गया था.

कैसे चुने गए शहर

राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे चरण के लिए संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा पहले चरण में अनुशंसित (recommended) किए गए शहरों में से, जनवरी 2016 से जून 2018 तक चले चयन के 4 दौर में 100 शहरों को SCM के तहत चुना गया था.

परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पांच साल की समयसीमा 2019 और 2023 के बीच निर्धारित की गई थी. बाद में मिशन को जून 2024 तक बढ़ा दिया गया. चूंकि जून 2024 तक सभी स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य विफल रहा, इसलिए केंद्र सरकार ने परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 31 मार्च 2025 की एक और समय सीमा घोषित की.

विशेषज्ञ की राय

भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA) में शहरी प्रबंधन के प्रोफेसर और शहरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक डॉ. केके पांडे ने कहा, "परियोजनाओं का पूरा होना राज्य-दर-राज्य और शहर-दर-शहर की स्थितियों और मुद्दों पर निर्भर करता है." उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों से मंजूरी मिलने में देरी और भूमि अधिग्रहण, ये दो सबसे आम कारक हैं जो स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

डॉ. पांडे ने कहा, "स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य पूरे शहर का विकास करना नहीं था, बल्कि एक क्षेत्र-आधारित विकास दृष्टिकोण का पालन करना था. इसमें रेट्रोफिटिंग, पुनर्विकास, ग्रीनफील्ड विकास और एक पैन-सिटी पहल शामिल थी. जिसमें शहर के बड़े हिस्सों को कवर करते हुए स्मार्ट समाधान लागू किए जाते, ताकि एक दोहराने योग्य मॉडल बनाया जा सके."