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कभी-कभी दर्द व्यक्त करना पार्टी के लिए फायदेमंद: हरीश रावत

 

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सुर बदलने के साथ- साथ वे सफाई देते नहीं थक रहे हैं. पिछले दिनों उनके एक बयान से आए भूचाल के बाद भले ही हरीश रावत ने कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी से मिलकर प्रदेश में सब कुछ ठीक होने का दावा किया है, लेकिन हरीश रावत के पार्टी के प्रति बगावती तेवर चर्चा में अभी तक बनी हुई है. वहीं एक बार फिर हरीश रावत ने एक चैनेल को बयान देते हुए कहा कि, आने वाले चुनाव जीतने के लिए कुछ सुधार जरूरी है. कभी-कभी दर्द व्यक्त करना भी पार्टी के लिए फायदेमंद होता है.

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आपको बता दे कि कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर हरीश रावत ने कहा था कि, 'है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र में तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है.' उनके इस ट्वीट के बाद उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया था. इतना ही  नहीं रावत ने पार्टी में गुजबाटी को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि अधिकतर जगहों पर पार्टी की तरफ से पूरा सहयोग नहीं मिल पा रहा है.

वहीं हरीश रावत के इस बयान के बाद कांग्रेस हाईकमान तुरंत एक्शन में आ गई और रावत की राहुल गांधी से मुलाकात हुई. जिसके बाद हरीश रावत के सुर फिर बदले-बदले नजर आए. उन्होंने एक कार्यक्रम में 'कदम कदम बढ़ाए जा कांग्रेस के गीत गाए जा और जिंदगी को उत्तराखंडियत पर लुटाए जा.' गीत सुनाकर कांग्रेस के साथ चल रहे अनबन के तमाम कयासों पर विराम लगा दिया.

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