दिल्ली भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर हलचल तेज, अंदरूनी समीकरणों में उलझा फैसला
National News: दिल्ली भाजपा में संगठनात्मक बदलाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए संभावित नामों पर अंदरखाने मंथन जारी है और इसी के साथ कई तरह के राजनीतिक व संगठनात्मक समीकरण भी सामने आने लगे हैं। पार्टी के भीतर यह चर्चा आम है कि इस बार फैसला केवल चेहरे पर नहीं, बल्कि संतुलन और रणनीति पर आधारित होगा।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा को इस रेस में मजबूत दावेदार माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि उनके समर्थन में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। दोनों के बीच पारिवारिक और निजी संबंध होने की चर्चाएं भी संगठन में तूल पकड़ रही हैं, जिससे हर्ष मल्होत्रा का दावा और मजबूत माना जा रहा है।
हालांकि, पार्टी के अंदर यह भी संकेत मिल रहे हैं कि यदि किसी कारणवश हर्ष मल्होत्रा के नाम पर सहमति नहीं बनती है, तो पूर्व मेयर जयप्रकाश उर्फ जेपी विकल्प के रूप में उभर सकते हैं। जेपी, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल के करीबी माने जाते हैं और संगठन में उनका अनुभव भी उनके पक्ष में जाता है। इसके अलावा वे गुर्जर समाज से आते हैं, जिसे देखते हुए जातीय संतुलन के नजरिए से भी उनके नाम पर विचार किया जा रहा है।
इस बीच राजीव बब्बर का नाम भी चर्चा में बना हुआ है। हाल ही में उन्हें डीडीए का सदस्य बनाए जाने के बाद यह माना जा रहा है कि उनकी नजदीकी मुख्यमंत्री स्तर तक है। हालांकि संगठन के जानकारों का कहना है कि अध्यक्ष पद की दौड़ में उनकी भूमिका फिलहाल स्पष्ट नहीं है और वे अभी निर्णायक स्थिति में नहीं माने जा रहे।
वहीं सांसद योगेंद्र चंदौलिया को लेकर चर्चाएं लगभग ठंडी पड़ चुकी हैं। सूत्रों का दावा है कि संगठन स्तर पर अब उनके नाम पर गंभीर विचार नहीं हो रहा है और वे इस रेस से बाहर माने जा रहे हैं।
कुल मिलाकर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष पद को लेकर संगठन, सत्ता संतुलन, जातीय समीकरण और वैचारिक संगठनों के प्रभाव के बीच संतुलन साधने की कोशिश साफ दिखाई दे रही है। अंतिम मुहर केंद्रीय नेतृत्व को ही लगानी है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक हलचल ने इस मुकाबले को काफी रोचक बना दिया है।







