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कौन है बुद्धदेव भट्टाचार्य और संध्या मुखर्जी जिन्होंने पद्म पुरस्कार लेने से किया मना

 
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पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और माकपा के वरिष्ठ नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य और मशहूर गायिका संध्या मुखर्जी ने पद्म पुरस्कार लेने से मना कर दिया है. सरकार ने बुद्धदेव भट्टाचार्य को पद्म भूषण और संध्या मुखर्जी को पद्म श्री से सम्मानित करने का फैसला लिया था.  

कौन हैं Buddhadeb Bhattacharjee और Sandhya Mukherjee, जिन्होंने ठुकरा दिया  पद्म पुरस्कार - who is buddhadeb bhattacharjee sandhya mukherjee profile  padma award ntc - AajTak

आपको बता दे कि बुद्धदेव भट्टाचार्य नेइस बारे में कहा, 'मैं पद्म भूषण सम्मान के बारे में कुछ नहीं जानता. मुझे किसी ने इसके बारे में नहीं बताया. अगर मुझे पद्म भूषण सम्मान दिया गया है तो मैं इसे अस्वीकार कर रहा हूं.' माकपा सूत्रों के अनुसार यह भट्टाचार्य के साथ ही पार्टी का भी फैसला है.

वहीं दूसरी तरफ गायिका संध्या मुखर्जी की बेटी सौमी सेनगुप्ता ने कहा कि मुखर्जी ने दिल्ली से फोन करने वाले वरिष्ठ अधिकारी से कहा कि, '90 साल की उम्र में किसी गायिका को पद्म श्री के लिए चुना जाना बेहद अपमानजनक है.' सेनगुप्ता ने आगे कहा, 'पद्म श्री एक जूनियर कलाकार के लिए अधिक योग्य हैं'.

वैसे बता दे बुद्धदेव भट्टाचार्य 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे हैं. वो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे. बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म 1 मार्च 1944 को उत्तर कोलकाता में हुआ था. उनका पुश्तैनी घर बांग्लादेश में है. वैसे सबसे खास बात ये है कि बुद्धदेव भट्टाचार्य को बंगाल में औद्योगिकीकरण की शुरुआत करने वाला मुख्यमंत्री कहा जाता है. उन्होंने ही टाटा नैनो के प्लांट को कोलकाता के पास सिंगुर में लगाने की मंजूरी दी थी. 

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वहीं अब बात करे गायिका संध्या मुखर्जी की तो संध्या मुखर्जी का जन्म 4 अक्टूबर 1931 को कलकत्ता के ढकुरिया में हुआ था. उनके पिता रेलवे अधिकारी थे. संध्या 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी है. उन्होंने पंडित संतोष कुमार बासु, प्रोफेसर एटी कन्नन और प्रोफेसर चिन्मय लाहिरी से संगीत सीखना शुरू किया. हालांकि, उनके गुरु उस्ताद बड़े गुलाम अली खान बाद उनके बेटे उस्ताद मुनव्वर अली खान उनके गुरु बने, जिनसे उन्होंने शास्त्रीय संगीत में महारत हासिल की. वैसे संध्या मुखर्जी को 60 और 70 के दशक की सबसे मधुर आवाज माना जाता है. उन्होंने हजारों बंगाली और गैर-बंगाली गाने गाए हैं. 

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