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मधुबनी रेलवे स्टेशन पर बनी इस फिल्म को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार, जानिए क्या है खूबी?

बिहार के लिए खुशखबरी है. दरअसल देश के सबसे प्रतिष्ठित 66वीं राष्ट्रीय पुरस्कार में गैर फीचर श्रेणी में फिल्म ‘मधुबनी: द स्टेशन आफ कलर्स’ को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है. राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद मधुबनी के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है. मधुबनी रेलवे स्टेशन पर लोगों को मंत्र मुग्ध… Read More »मधुबनी रेलवे स्टेशन पर बनी इस फिल्म को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार, जानिए क्या है खूबी?
 

बिहार के लिए खुशखबरी है. दरअसल देश के सबसे प्रतिष्ठित 66वीं राष्ट्रीय पुरस्कार में गैर फीचर श्रेणी में फिल्म ‘मधुबनी: द स्टेशन आफ कलर्स’ को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है. राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद मधुबनी के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है. मधुबनी रेलवे स्टेशन पर लोगों को मंत्र मुग्ध कर देने वाली खूबसूरत पेंटिंग्स बनी है और यह खूबसूरत पेंटिंग्स ना सिर्फ मधुबनी स्टेशन परिसर में बल्कि पूरे देश में अपने पेंटिंग को लेकर प्रसिद्ध हो गई है. यहां आने वाले लोगों को मिथिला की संस्कृति की झलक पेंटिंग के माध्यम से दिखती है और यह पेंटिंग लोगों को अपनी ओर खींचती है.

दरअसल, मधुबनी द स्टेशन ऑफ कलर्स….यह पूरी फिल्म मधुबनी रेलवे स्टेशन की साफ-सफाई और साज-सज्जा को लेकर बनी है. आप खुद ही देखिए इन तस्वीरों में कैसे मधुबनी रेलवे स्टेशन के पूरे परिसर को मिथिला पेंटिंग से सजाया गया है और इसके साथ ही साथ यहां की संस्कृति साफ-सफाई खूबसूरती को शब्दों में बयां किया गया है.

फिल्म को ‘बेस्ट नैरेशन’ श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है. फिल्म में मधुबनी रेलवे स्टेशन पर स्थानीय कलाकारों द्वारा किए गए मिथिला पेंटिंग को दर्शाया गया है. मधुबनी के जिलाधिकारी शीर्षत कपिल आलोक का कहना है कि ‘मधुबनी: द स्टेशन ऑफ कलर्स’ का सम्मान न सिर्फ मधुबनी बल्कि पूरे बिहार का सम्मान है और ये सारा कुछ संभव हो पाया है मधुबनी के कलाकारों की दिन-रात की मेहनत की बदौलत.

यह फिल्म सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ विंदेश्वर पाठक के सहयोग से बनाई गई है. बता दें कि इस फिल्म के क्रिएटिव और एक्टिंग डायरेक्टर कमलेश मिश्रा है, जो बिहार के गोपालगंज के मूल निवासी हैं. इस लघु फिल्म की शूटिंग दस दिनों तक की गई थी, जहां फिल्म में रेलवे स्टेशन पर स्थानीय कलाकारों द्वारा मिथिला पेंटिंग को दर्शाया गया है. दिल्ली, मुंबई समेत अन्य जगहों से बड़ी संख्या में कलाकार यहां पहुंचे थे. मधुबनी रेलवे स्टेशन पर बनी फिल्म को अवॉर्ड मिलने से डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने इसे कलाकारों का सम्मान बताया है. उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया है. वहीं इस उपलब्धि पर पूरे मिथिलांचल में अभूतपूर्व खुशी की लहर दौड़ गई है.

आपको बता दें कि जुलाई 2018 में समस्तीपुर रेल मंडल के तत्कालीन डीआरएम आरके जैन ने इसकी पहल की थी और उसके बाद से सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ बिंदेश्वर पाठक के सहयोग से यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई.

मधुबनी रेलवे स्टेशन से जुड़ी फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुने जाने पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी ट्वीट के जरिए खुशी जताई है, पियूष गोयल ने फिल्म से जुड़े सभी व्यक्तियों, कलाकारों व स्टेशन को अपनी कला से जीवंत कर देने वाले चित्रकारों को हार्दिक बधाई दी है. वहीं, रेल मंत्री के अलावा जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने भी ट्वीट कर बधाई दी है. वहीं मधुबनी के रहने वाले आमलोग भी इस उपलब्धि पर काफी खुश हैं. उन्हें अपने रेलवे स्टेशन की खूबसूरती और साफ-सफाई पर नाज है.

स्टेशन परिसर को अपनी पेंटिंग से सजाने संवारने वाले कलाकारों में भी ‘मधुबनी: द स्टेशन ऑफ कलर्स’ फिल्म को राष्ट्रीय सम्मान के लिए चुने जाने पर खुशी है लेकिन इन कलाकारों में थोड़ी मायूसी भी है. कलाकारों का कहना है कि स्टेशन का सम्मान हुआ. स्टेशन की सुंदरता पर आधारित फिल्म को भी अवॉर्ड के लिए चुना गया लेकिन श्रमदान के जरिए स्टेशन को सजाने वाले अधिकांश कलाकारों को व्यक्तिगत तौर पर कोई सम्मान नहीं मिला है.