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Modi 3.0 में बिहार से 8 ने ली मंत्री पद शपथ, खूब सधे जातीय समीकरण, राजपूतों से क्यों किया किनारा?

 

नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसमें बिहार से सबसे ज्यादा 8 सांसदों को मंत्री बनाया गया है। इसमें दो भूमिहार, दो दलित, एक यादव, एक ईबीसी, एक ब्राह्मण और एक मल्लाह जाति से हैं। मोदी सरकार में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी राजपूत जाति के सांसद को मंत्रालय में जगह नहीं दी गई है।


इससे पहले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में इस कोटे से राधा मोहन सिंह और राजीव प्रताप रुढ़ी तो दूसरे कार्यकाल में आरके सिंह को जगह दी गई थी। इस बार आरके सिंह भले चुनाव हार गए हों, लेकिन राजीव प्रताप रूडी ने कांटे की टक्कर में लालू प्रसाद यादव की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य को चुनाव हराया है। वहीं, राधा मोहन सिंह भी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें मंत्रालय से दूर रखा गया है।

मल्लाह कोटे पर ही इस बार मुजफ्फरपुर से राजभूषण चौधरी को मंत्री बनाया गया है। न केवल बीजेपी बल्कि सहयोगी पार्टी की तरफ से भी राजपूतों को तवज्जो नहीं दी गई है। जदयू की तरफ से आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद शिवहर से चुनाव जीती हैं और राजपूत हैं। वहीं, लोजपा (आर) से वैशाली की सांसद वीणा देवी भी इसी जाति से आती हैं।

एक्सपर्ट की मानें तो इस बार राजपूत जाति को बीजेपी से नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा है। राजपूतों की नाराजगी के कारण बीजेपी का शाहबाद के इलाके में खाता तक नहीं खुला है। आरा से आरके सिंह विकास पुरुष की छवि पाकर भी चुनाव हार गए।

बिहार के चित्तौड़गढ़ कहे जाने वाले औरंगाबाद से बीजेपी के सुशील सिंह हार गए। नाराजगी का असर बक्सर भी पहुंचा और बीजेपी के गढ़ कहे जाने वाले बक्सर से पार्टी उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी चुनाव हार गए।

केवल बीजेपी ही नहीं इसका खामियाजा सहयोगी दलों को भी भुगतना पड़ा। काराकाट से एनडीए प्रत्याशी और प्रदेश के दिग्गज नेता उपेंद्र कुशवाहा भी चुनाव हार गए। उनके हार में बड़ी भूमिका पवन सिंह की रही। एक्सपर्ट कहते हैं कि कैबिनेट में राजपूत को जगह नहीं मिलने का एक बड़ा कारण ये हो सकता है।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि मोदी कैबिनेट में बिहार की सोशल इंजीनियरिंग को साधने की कोशिश की गई है। नीतीश कुमार ने जहां नाराज भूमिहारों को साधने के लिए ललन सिंह को आगे बढ़ाया है।

वहीं, कोर वोट बैंक का ख्याल रखते हुए उन्होंने ईबीसी जाति से आने वाले रामनाथ ठाकुर को भी मंत्री बनाया है। बिहार में ईबीसी की आबादी 36 फीसदी से ज्यादा है। इस चुनाव में भी ईबीसी ने नीतीश कुमार पर भरोसा जाता है।