Movie prime

सहानुभूति की लहर में राजद की नैया लगेगी पार?

 
Bochaha

बिहार के बोचहां विधानसभा उपचुनाव में कल 12 अप्रैल को वोट डालेंगे जायेंगे. ऐसे में एक ओर जहां मुकेश सहनी जीत का दावा कर रहे हैं वहीं भाजपा और राजद ने इस उपचुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है. वीआईपी पार्टी के विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के बाद यहां चुनाव हो रहा है और उनके पुत्र अमर पासवान राजद की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. दरअसल शुरुआती संकेत इशारा कर रहे थे कि राजद के टिकट पर पूर्व मंत्री रमई राम की पुत्री गीता कुमारी और वीआईपी के टिकट पर मुसाफिर पासवान के के पुत्र अमर पासवान चुनाव लड़ेंगे. 

Vip party mla from bochahan bihar muasafir paswan passes away at delhi  bramk - Bihar: VIP पार्टी के विधायक मुसाफिर पासवान का निधन, दिल्ली में ली  अंतिम सांस – News18 हिंदी

इस उपचुनाव में भाजपा की एंट्री के बाद असज महसूस कर रहे अमर पासवान ने राजद का दामन थाम लिया तो मजबूरन गीता कुमारी को वीआईपी का सहारा लेना पड़ा. अब कल चुनाव हैं ऐसे में सवाल यह है कि क्या सहानुभूति की लहर में राजद की नैया पार लगेगी?  

Amar Paswan resigns from vip and join rjd : बोचहां चुनाव से पहले मुकेश सहनी  को झटका, अमर पासवान ने दिया VIP से इस्तीफा, राजद ने बनाया प्रत्याशी -  Navbharat Times

कद्दावर नेता रमई राम को नाराज कर राजद ने अमर पासवान पर भरोसा जताया. रमई राम आधा दर्जन से अधिक बार इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं. ऐसे में  पंगा लेकर राजद ने बड़ा दाव खेला है. राजद ने उपचुनाव का ट्रेंड देख सहानुभूति के नाव पर सवार होना तय किया. दरअसल जिस ट्रेंड की हम बात कर रहे हैं  वो दिखता है कि उपचुनाव में सहानुभूति वोट मायने रखता है. ज्यादातर जीत भी उसी उम्मीदवार की होती है जो दिवंगत विधायक की पत्नी, पति, पुत्र, बहू या अन्य बहुत नजदीकी रिश्तेदार होते हैं. वहीं तारापुर और कुशेश्वरस्थान में उपचुनाव हुए दोनों सीटों पर दिखा बड़ा असर, दोनों पर जदयू की जीत हुई.

2020 के बाद के उपचुनाव की बात करें तो हाल में तारापुर और कुशेश्वरस्थान में उपचुनाव हुए. तारापुर की सीट जदयू के विधायक मेवालाल चौधरी के निधन की वजह से खाली हुई थी और कुशेश्वर स्थान में शशिभूषण हजारी के निधन से. तारापुर में जदयू की कोशिश रही कि मेवालाल चौधरी के पुत्र या उनके परिवार से कोई चुनाव लड़े. लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्योंकि न तो मेवालाल चौधरी के पुत्र और न ही परिवार से कोई करीबी चुनाव लड़ने को तैयार हुआ. इस स्थिति में जदयू ने राजीव कुमार सिंह को टिकट दिया और प्रचारित किया कि मेवालाल चौधरी के पुत्र चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं इसी वजह से टिकट राजीव कुमार सिंह को दिया गया. 


राजीव कुमार सिंह ने राजद के अरुण कुमार साह को तारापुर उपचुनाव में हराया और सहानुभूति वोट का लाभ जदयू को मिला। कुशेश्वरस्थान में भी उसी सिपैंथी वोट का असर दिखा जहां शशिभूषण हजारी के पुत्र और जदयू के उम्मीदवार अमन भूषण हजारी की जीत हुई. 

इससे पहले जो सबसे चर्चित उपचुनाव रहा, वह था 2011 में दरौंदा की विधायक जगमातो देवी के निधन के बाद हुआ उपचनाव. जदयू आतंक का पर्याय माने जाने वाले उनके पुत्र अजय सिंह को टिकट नहीं देना चाहती थी. लेकिन प्रस्ताव दिया गया कि अगर वे शादी कर लें तो पत्नी को टिकट दे दिया जाएगा। अजय सिंह ने विज्ञापन निकाला और 16 लड़कियों का बायोडाटा आया और उसी बायोडाटा में से अजय सिंह ने कविता सिंह से शादी की. तमाम मान्यताओं को छोड़ते हुए पितृपक्ष के समय शादी की गई. खबर बनी कि पितृपक्ष में शादी करवाकर नीतीश कुमार ने टिकट दिया.
 

Kavita Singh - Home | Facebook

शादी के दूसरे ही दिन नीतीश कुमार की पार्टी ने कविता सिंह को टिकट दे दिया। जगमातो देवी से जुड़े सिपैंथी वोट का फायदा उनकी बहू कविता सिंह को मिला और वह चुनाव जीत गईं. आगे वह सीवान से सांसद भी बनीं. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि सिपैंथी वोट बैंक से ही राजीव गांधी ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद रिकॉर्ड बनाया था.


बिहारी या भारतीय वोटर भावुक वोटर भी होते हैं. तारापुर उपचनाव में राजद ने जदयू को कड़ी टक्कर दी पर सिपैंथी वोट का फायदा जदयू को वहां मिल गया. बोचाहां में अमर पासवान को राजद ने बहुत सोच-समझ कर टिकट दिया है और सिपैंथी वोट का फायदा मिलने की बहुत उम्मीद जताई जा रही है.