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एनडीए में सीट शेयरिंग पर खींचतान के बीच चिराग पासवान को बड़ा झटका, लोजपा के प्रवक्ता कुमार सौरभ सिंह ने दिया इस्तीफा

 
एनडीए में सीट शेयरिंग पर खींचतान के बीच चिराग पासवान को बड़ा झटका, लोजपा (रामविलास) के प्रवक्ता कुमार सौरभ सिंह ने दिया इस्तीफा

Bihar chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर चल रही तनातनी के बीच लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कुमार सौरभ सिंह ने अचानक अपने पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब चिराग पासवान एनडीए में अपनी पार्टी के लिए 35 से 40 सीटों की मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि बीजेपी reportedly केवल 25 सीटों पर समझौते के मूड में है। ऐसे में पार्टी के एक सक्रिय प्रवक्ता का जाना लोजपा (रामविलास) के भीतर असंतोष के संकेत माना जा रहा है।

संगठन के अहम चेहरे थे कुमार सौरभ

कुमार सौरभ सिंह पार्टी के उन चेहरों में गिने जाते थे, जो न सिर्फ मीडिया में लोजपा (रामविलास) का पक्ष मजबूती से रखते थे, बल्कि संगठनात्मक स्तर पर भी बेहद सक्रिय थे। उन्हें झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान चतरा सीट का प्रभारी बनाया गया था, जहां उन्होंने पार्टी की रणनीति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उनके इस्तीफे से चुनावी तैयारी और मीडिया मैनेजमेंट दोनों पर असर पड़ सकता है।

“बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” मिशन के प्रमुख सहयोगी रहे

कुमार सौरभ सिंह ने चिराग पासवान के चर्चित विजन डॉक्यूमेंट “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” को तैयार करने में भी मुख्य भूमिका निभाई थी। यह वही विचार था जिसे चिराग ने 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की पहचान बनाया था।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि एक ऐसे प्रवक्ता और विचारक का जाना, जिसने पार्टी के मूल विजन को आकार दिया था, चिराग की टीम के लिए एक बड़ी बौद्धिक कमी छोड़ जाएगा।

जातीय संतुलन पर भी असर

मूल रूप से औरंगाबाद जिले के रहने वाले कुमार सौरभ सिंह राजपूत समाज से आते हैं। उनका जाना पार्टी के जातीय समीकरण पर भी असर डाल सकता है।
राजपूत समुदाय बिहार की राजनीति में एक प्रभावशाली वर्ग माना जाता है, खासकर दक्षिण और मध्य बिहार में। ऐसे में यह इस्तीफा चिराग पासवान के लिए न केवल संगठनात्मक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

गठबंधन में बढ़ती तकरार के बीच बढ़ी परेशानी

एनडीए में सीट शेयरिंग पर जारी खींचतान के बीच इस इस्तीफे ने चिराग पासवान की स्थिति और मुश्किल कर दी है। पार्टी पहले ही 35 से ज्यादा सीटों की मांग को लेकर दबाव बना रही है, जबकि बीजेपी इस पर रजामंद नहीं दिख रही। ऐसे में अंदर से आने वाले असंतोष के संकेत लोजपा (रामविलास) के लिए आने वाले दिनों में और भी चुनौतियां खड़ी कर सकते हैं।