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तिरहुत MLC चुनाव में हार पर आनंद मोहन जेडीयू नेताओं पर भड़के, बोले- राजपूतों को बंधुआ मजदूर समझोगे तो ऐसा ही होगा

 

तिरहुत स्नातक स्तरीय विधान पार्षद के उपचुनाव में JDU की मिली हार ने पार्टी के भीतर ही घमासान पैदा कर दिया है। तिरहुत स्नातक एमएलसी सीट पर हुए उपचुनाव में एनडीए को मिली हार पर पूर्व सांसद आनंद मोहन ने अपनी ही पार्टी जेडीयू के नेताओं पर सवालिया निशान खड़े किए हैं।

उन्होंने इस चुनाव में राजपूत नेताओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि राजपूतों के साथ बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार करेंगे तो हार मिलेगी। तिरहुत स्नातक क्षेत्र में पांच विधायक और दो सांसद राजपूत हैं, फिर भी हमें नहीं पूछा गया।

आनंद मोहन ने बिना नाम लिए तिरहुत के पूर्व एमएलसी रहे देवे चंद्र ठाकुर पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ये चुनाव एक इंसान की अहंकार की भेंट चढ़ गया। राजपूत समाज से आने वालीं सांसद वीणा सिंह, विधायक राजू सिंह, अरुण सिंह, अशोक सिंह, संजय सिंह की तस्वीर भी कहीं नहीं दिखी।"

अपनी ही पार्टी पर भड़कते हुए आनंद मोहन ने कहा कि राजनीति में अहंकार की भाषा नहीं चलती है। जहां चूक हुई है, जेडीयू और एनडीए के नेताओं को बैठकर इसकी समीक्षा करनी चाहिए। आत्ममंथन करना चाहिए। तिरहुत स्नातक सीट पर जेडीयू एवं एनडीए की हार बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

तिरहुत स्नातक उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार और शिक्षक नेता वंशीधर ब्रजवासी ने चुनाव में जीत दर्ज की थी।
तिरहुत स्नातक क्षेत्र के हुए उपचुनाव में JDU को करारी हार का सामना करना पड़ा है। जन सुराज के विनायक गौतम को दूसरा स्थान मिला, जबकि RJD के गोपी किशन तीसरे स्थान पर रहे। वहीं JDU के उम्मीदवार अभिषेक झा को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। तिरहुत के पूर्व एमएलसी रहे देवे चंद्र ठाकुर के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी, लेकिन जदयू इस सीट को नहीं बचा सकी।