ललन सिंह के बयान से चमकी बलियावी की किस्मत, नीतीश ने चली बड़ी चाल, मुसलमानों को दिया संदेश
जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने मुसलमानों को लेकर बयान दिया उससे राजनीति गरमाई हुई है। मुसलमान जेडीयू को वोट देते हैं या नहीं इसको लेकर बहस छिड़ी हुई है। इनसब के बीच सीएम नीतीश कुमार ने एक चाल चलकर डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया है। नीतीश ने बीते दिन मंगलवार को मुस्लिम नेता गुलाम रसूल बलियावी को जेडीयू का महासचिव नियुक्त कर दिया है। बलियावी पहले भी पार्टी के सांसद, विधान पार्षद और महासचिव रह चुके हैं। बता दें कि ललन सिंह ने मुजफ्फरपुर में जेडीयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा था कि नीतीश कुमार ने मुस्लिम समाज के लिए बहुत काम किया है लेकिन वोट उन लोगों को मिलता है जिन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए छटांक भर काम नहीं किया।
उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले बलियावी 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश के पास आए थे। इससे पहले वो रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के साथ थे। नीतीश ने उन्हें पहले राज्यसभा और बाद में विधान परिषद भेजा। बलियावी ललन सिंह की टीम में भी महासचिव थे लेकिन जब नीतीश ने पार्टी की कमान अपने हाथ में लेने के बाद नई टीम बनाई तो उनका नाम कट गया था।
विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुसलमान वोट को लेकर बिहार में तेजस्वी की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के बीच जो कुश्ती चल रही है उसमें नीतीश ने ललन सिंह के बयान पर विवाद के पाद बलियावी को महासचिव बनाकर अपनी चाल भी चल दी है। नीतीश ने बलियावी के अलावा हर्षवर्धन सिंह को भी जेडीयू महासचिव बनाया है जो दिल्ली में पार्टी के दफ्तर का काम देखते हैं।
ललन सिंह के बयान पर विपक्षी दलों ने तो उनको भाजपा की बोली बोलने वाला बता दिया लेकिन बचाव में उतरे नीतीश के करीबी जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी ने कहा था कि ललन सिंह के बात को गलत तरीके से लिया जा रहा है। चौधरी ने कहा था कि ललन ने ये कहा है कि जिस तरह से नीतीश मुसलमानों का काम करते हैं, उस तरह से जेडीयू को उनका वोट नहीं मिलता है। लेकिन सरकार में जेडीयू के ही मंत्री जमा खान ने कहा कि जेडीयू को मुसलमानों के साथ-साथ हर जाति और धर्म का वोट मिलता है क्योंकि नीतीश जाति और धर्म को देखकर काम नहीं करते।